निजी चिकित्सकों के समर्थन में सरकारी चिकित्सकों ने भी काम का बहिष्कार किया, सरकार ने छुट्टियों पर लगाई रोक
सरकार ने व्यवस्था संभालने के लिए सहायक रेजिडेंट चिकित्सकों के एक हजार नए पद स्वीकृत किए हैं। साथ ही जिन निजी अस्पतालों को रियायती दर पर जमीन का आवंटन किया गया था। उनका आवंटन रदद करने की तैयारी की जा रही है।
जागरण संवाददाता,जयपुर। स्थ्य का अधिकार विधेयक के विरोध मे राजस्थान के निजी अस्पताल मालिकों एवं चिकित्सकों का आंदोलन बुधवार को 11वें दिन भी जारी रहा। सरकारी चिकित्सकों ने बुधवार को काम का बहिष्कार किया । सरकारी चिकित्सकों ने एक दिन का अवकाश लिया था। हालांकि सरकार की सख्ती के बाद कुछ सरकारी चिकित्सक अस्पतालों में पहुंचे।
हालांकि अस्पतालों के ताले ही नहीं खुले। सरकार ने सख्ती करते हुए चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मियों के अवकाश लेने पर रोक लगा दी है। चिकित्सकों के उपस्थिति रजिस्टर में हाजिरी की फोटो प्रतिदिन सुबह साढ़े नौ बजे तक जिला मुख्यालय पर भेजने के निर्देश दिए गए है। रेजिडेंट चिकित्सकों को काम पर लौटने का नोटिस दिया गया है। सरकारी आदेश नहीं मानने पर रेजिडेंट चिकित्सकों पंजीकरण रदद करने की चेतावनी दी गई है।
सरकार ने व्यवस्था संभालने के लिए सहायक रेजिडेंट चिकित्सकों के एक हजार नए पद स्वीकृत किए हैं। साथ ही जिन निजी अस्पतालों को रियायती दर पर जमीन का आवंटन किया गया था। उनका आवंटन रदद करने की तैयारी की जा रही है। सरकार की सख्ती के बावजूद निजी चिकित्सक आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है। आंदोलनकारियों ने बुधवार को फिर दोहराया कि विधेयक की वापसी तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
कलक्टरों ने किया इलाज
कोटा में चिकित्सकों ने विधेयक की शव यात्रा निकाल कर कहा कि यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शहर में आए तो उनका विरोध किया जाएगा। बूंदी के सरकारी अस्पताल में चिकित्सक नहीं पहुंचे तो जिला कलक्टर डॉ.रविंद्र गोस्वामी ने मोर्चा संभाला । झालावाड़ कलक्टर डॉ.भारती दीक्षित ने मरीजों का इलाज कयिा। उन्होंने मरीजों का उपचार किया।
दीक्षित व गोस्वामी प्रशासनिक सेवा में आने से पहले चिकित्सक थे। आंदोलनकारियों का दावा है कि पूरे प्रदेश में करीब 15 हजार चिकित्सकों ने बुधवार को काम नहीं किया। उधर बुधवार को सीकर में चिकित्सकों के विरोध एवं विधेयक के पक्ष में प्रदर्शन किया गया । प्रदर्शन करने वालों का कहना था कि विधेयक आम आदमी के हित में है। चिकित्सकों को अपना आंदोलन समाप्त करना चहिए।
तीन की मौत
पिछले एक सप्ताह में अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने पर अलग-अगल शहरों में तीन मरीजों की मौत हुई है। जालौर अस्पताल में इलाज नहीं होने के कारण तीन साल के बच्चे गणपत की मंगलवार को मौत हो गई। जयपुर के ईएसआई अस्पताल में इलाज नहीं होने पर सलामुद्दीन की मौत हुई। वहीं सीकर में दो दिन पहले एक महिला की मौत हुई है।
चिकित्सकों को काम पर लौटना चाहिए। विधेयक बनाने से पहले चिकित्सकों को बुलाकर बात की थी। उनके सुझाव विधेयक में शामिल किए गए हैं। चिकित्सक अपना धर्म भूल गए । मरीजों का उपचार करने की शपथ को याद कर चिकित्सक काम पर लौटें।- परसादी लाल मीणा,चिकित्सा मंत्री