Rajasthan: प्लास्टिक वेस्ट से उदयपुर की इस छात्रा ने बनाई सड़क, जानें-इसकी खासियत
Girl Student Nidhi Kalal. राजस्थान में उदयपुर के हैरिटेज गर्ल्स स्कूल में प्लास्टिक वेस्ट और नॉन बायोडिग्रेडेबल साम्रगी से तैयार सड़क देखी जा सकती है।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। Girl Student Nidhi Kalal. राजस्थान में उदयपुर की एक छात्रा ने अपने टीचर्स व स्कूल प्रबंधन के सहयोग से स्कूल परिसर में ही प्लास्टिक वेस्ट और नॉन बायोडिग्रेडेबल सामग्री को उपयोग में लेकर सड़क बनाई है। उसके इस कार्य को केंद्रीय परिवहन विभाग ने सराहा है, वहीं स्कूल प्रबंधन ने छात्रा के प्रयासों को पेटेंट कराने के लिए पेटेंट संगठन को भेजा है।
उदयपुर से लगभग बारह किलोमीटर दूर कैलाशपुरी (एकलिंगजी) स्थित हैरिटेज गर्ल्स स्कूल में प्लास्टिक वेस्ट और नॉन बायोडिग्रेडेबल साम्रगी से तैयार सड़क देखी जा सकती है। इस सड़क के निर्माण का श्रेय बारहवीं की
छात्रा निधि कलाल को दिया जाता है। जिसके प्रयासों से यह सफलता मिली। बारिश में उदयपुर की सड़कों की हालात देखकर निधि के मन में पक्की और मजबूत सड़क बनाने की सोच आई। वह जानती थी कि प्लास्टिक बरसों तक खराब नहीं होता तो उसने प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग सड़क निर्माण में लेने का निर्णय लिया।
जिसमें उसका साथ दिया स्कूल की रसायन विज्ञान की शिक्षिका डॉ. ममता लोढ़ा, प्राचार्या तुलसी भाटिया और स्कूल प्रबंधन ने।
यहीं से प्लास्टिक वेस्ट और और बायोडिग्रेडेबल सामान से सड़क निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई। इसके लिए आवश्यक मशीनरी जो आसानी से उपलब्ध हैं, उनका प्रबंधन स्कूल प्रशासन ने किया। प्लास्टिक वेस्ट के साथ, उदयपुर के लिए मुसीबत बन चुकी मार्बल स्लरी, डाई युक्त पानी, फ्लाई ऐश, प्लास्टिक, कोल तार के मिश्रण
का उपयोग लिया गया। प्लास्टिक वेस्ट का चूरा बनाकर सभी सामग्रियों को मिलाया गया तथा सड़क बनाई गई। स्कूल परिसर में लगभग दो सौ फिट सड़क बनाने के बाद उस पर कई प्रयोग किए गए। यथा रोजाना पानी डाला गया तथा कुछ जगह पानी भरकर रखा गया, लेकिन यह सड़क सुरक्षित रही। इस तरह तीन महीने तक
अध्ययन के बाद इस सड़क निर्माण की रूपरेखा तथा बनाई सड़क के बारे में केंद्रीय परिवहन विभाग को भी जानकारी दी गई। जिसकी जांच परिवहन अधिकारियों ने भी खी और बाद में केंद्रीय परिवहन अधिकारी ने छात्रा के काम की सराहना की है।
सड़क को नाम दिया ग्रीन पाथ
हैरिटेज स्कूल में बनी नॉन बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनी सड़क को ग्रीन पाथ नाम दिया गया है। छात्रा निधि का कहना है कि इससे पर्यावरण के प्रति अवेयरनेस भी बढ़ेगी। वहीं, नॉन बायोडिग्रेडेबल सामान के उपयोग को लेकर नई विचारधारा सामने आएगी। निधि की छात्रा डॉ. ममता लोढ़ा कका कहना है कि उन्होंने डाइयुक्त पानी के उपयोग पर शोध किया था। उसका उपयोग सड़क में किस तरह लिया जाए, पर काम किया और सफलता मिली।
इधर, स्कूल निदेशक श्रेयांश भंडारी का कहना है कि निधि के ईको फ्रेंडली प्रोजेक्ट को शोध के लिए भेजा गया है। साथ ही, इसे पेटेंट संगठन को भी भेजा है। आगामी वर्षों में प्लास्टिक वेस्ट और नॉन बायोडिग्रेडेबल सामग्री व्यापक रूप से सड़क के उपयोग में ली जाने लगेगी।