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भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर व दूतावास के अधिकारियों ने अजमेर में सूफी संत की दरगाह जियारत

भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर जर्मन दूतावास के अधिकारी फरीद खान व अन्य प्रोटोकॉल अधिकारियों ने अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह ज़ियारत कर जर्मनी और भारत के बीच संबंधों में प्रगति के लिए प्रार्थना की।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 07:28 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 07:28 PM (IST)
भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर व दूतावास के अधिकारियों ने अजमेर में सूफी संत की दरगाह जियारत
भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर

अजमेर, संवाद सूत्र। भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर, जर्मन दूतावास के अधिकारी फरीद खान व अन्य प्रोटोकॉल अधिकारियों ने अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह ज़ियारत कर जर्मनी और भारत के बीच संबंधों में प्रगति के लिए प्रार्थना की। हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती ने दरगाह शरीफ में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर का स्वागत किया और दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों में शांति और सफलता के लिए प्रार्थना की। दोनों ने भारत और जर्मनी के बीच अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रार्थना की।

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भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने विश्व शांति के लिए प्रार्थना की और अध्यात्मिक ध्यान किया और ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के महान संदेश को साझा करने का इरादा किया, जो भारत से पूरी दुनिया के लिए सभी के प्रति प्यार किसी के प्रति द्वेष नहीं है और साथ ही सबका आदर सम्मान भी है। 22 फरवरी को ख्वाजा गरीब नवाज के आगामी वार्षिक 810 वें वर्ष उर्स मुबारक का संदेश मोहब्बत सबसे और नफरत किसी से भी नहीं जर्मनी के राष्ट्रपति की तरफ से भारत देश के लिए लाने का इरादा भी किया।

दरगाह अजमेर शरीफ में ख्वाजा गरीब नवाज के वार्षिक 810 वें उर्स को चिह्नित करने के लिए जर्मनी से पवित्र चादर मुबारक के साथ जर्मन राष्ट्राध्यक्ष का शांति संदेश भी लाने के लिए चर्चा की गई। हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर से भी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंधों को बढ़ाने के लिए अजमेर शरीफ भारत और जर्मनी में आध्यात्मिक शहरों के रूप में आधिकारिक तौर पर एक साथ मिलकर काम करने के लिए बात की। हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती ने सभी प्रतिनिधिमंडल को पारंपरिक दस्तार बंधी की और दरगाह शरीफ की जियारत के बाद सभी को पवित्र तबर्रुक और दरगाह अजमेर शरीफ का एक सूफी चिन्ह भेंट किया।


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