आरएसएस की छाया हटाने की तैयारी में गहलोत सरकार, पाठ्क्रम में जोड़े गए पाठ हटाए जाएंगे
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक बार फिर भगवाकरण का मुद्दा छाया हुआ है। पिछली भाजपा सरकार पर कांग्रेस ने कई बार शिक्षा के भगवाकरण करने के आरोप लगाए थे।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। विपक्ष में रहते हुए वसुंधरा राजे सरकार पर स्कूली शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाती रही कांग्रेस अब सत्ता में आते ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े सरकारी व्याख्याताओं और शिक्षकों चिन्हित करने में जुट गई है। सरकार उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा में लगे आरएसएस पृष्ठभूमि के ऐसे लोगों को भी चिन्हित कर रही है जो शैक्षणिक कार्य के अलावा अन्य कार्य कर रहे है।
व्याख्याताओं और शिक्षकों को तो कम महत्व की शिक्षण संस्थाओं एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भेजने की योजना बनाई जा रही है। वहीं प्रदेश के विभिन्न विश्विघालयों में कुलपतियों को बदलने और भाजपा सरकार के कार्यकाल में पाठ्क्रम में जोड़े गए अध्यायों को भी हटाने की तैयारी की जा रही है।
शिक्षामंत्री खुद कर रहे निगरानी,कांग्रेस पृष्ठभूमि के शिक्षाविद्ध सक्रिय
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक बार फिर भगवाकरण का मुद्दा छाया हुआ है। पिछली भाजपा सरकार पर कांग्रेस ने कई बार शिक्षा के भगवाकरण करने के आरोप लगाए थे। शिक्षा में पाठ्यक्रम, ड्रेस, सूर्य नमस्कार समेत कई ऐसे मसले रहे, जिन्हें लेकर विरोध भी किया गया। लेकिन अब कांग्रेस के सत्ता में आने के साथ ही भाजपा द्वारा कथित भगवाकरण के तहत किए गए कार्यों को बदले जाने की तैयारियां की जा रही है। इस बारे में कांग्रेस पृष्ठभूमि के शिक्षाविद्ध रिपोर्ट तैयार कर रहे है। शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस बारे में अधिकारियों को निर्देश दिए है। अगले कुछ दिनों में अधिकारिक आदेश जारी किए जा सकते है।
पाठ्यक्रम में जोड़े गए थे ये पाठ
भाजपा सरकार के कार्यकाल में पाठ्यक्रम में जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी के कश्मीर आंदोलन, पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन, पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन की पर्यावरण पर कविता, केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी, नानाजी देशमुख,गुरू गोविंद और वीर सावरकर जैसे सीधे संघ से जुड़े नाम शामिल किए गए। संघ के द्वारा आदर्श माने जाने वाले भास्कराचार्य, आर्यभट्ट संघ और पन्ना धाय को पाठ्यक्रम में जोड़ा गया। पाठ्यक्रम में भगवद् गीता, योग, वंदे मातरम, सूर्य नमस्कार को भी जोड़ा गया। वहीं देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जुड़े कुछ अंशों को हटाया गया था। रियासतों के एकीकरण से जुड़े एक अध्याय में नेहरू के स्थान पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की फोटो छापने को लेकर भी विवाद हुआ था। शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को साफ कहा कि पिछली सरकार द्वारा किए गए निर्णयों में आरएसएस और भगवाकरण के एजेंडे के तहत किए गए कार्यों को बदला जाएगा, लेकिन इससे पहले इनकी समीक्षा भी की जाएगी ।
मप्र.में संघ की शाखाओं पर रोक लगाने का किया था वादा
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने और सरकारी भवनों में शाखा लगाने पर रोक लगाने का वादा चुनाव घोषणा-पत्र में किया था। इस घोषणा-पत्र को वचन पत्र नाम दिया गया था।