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Lockdown: छूट से प्रवासियों व श्रमिकों को मिली राहत, लेकिन गहलोत सरकार की चिंता बढ़ी; बनाई रणनीति

Lockdown. राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि श्रमिक व प्रवासी जैसे ही सीमा पर पहुंचेंगे तो वहां उनकी स्क्रीनिंग होगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 04:33 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 04:33 PM (IST)
Lockdown: छूट से प्रवासियों व श्रमिकों को मिली राहत, लेकिन गहलोत सरकार की चिंता बढ़ी; बनाई रणनीति
Lockdown: छूट से प्रवासियों व श्रमिकों को मिली राहत, लेकिन गहलोत सरकार की चिंता बढ़ी; बनाई रणनीति

जयपुर, जागरण संवाददाता। Lockdown. लॉकडाउन के कारण फंसे हुए प्रवासियों व श्रमिकों की आवाजाही के लिए केंद्र सरकार ने छूट दी है। इस छूट के तहत केंद्र सरकार ने जहां छह स्पेशन ट्रेन चलाई, वहीं राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने रोडवेज बसों का सहारा लिया है। प्रदेश में अब तक 11.57 लाख प्रवासियों व श्रमिकों ने अंतराज्यीय आवागमन के लिए शनिवार तक राज्य सरकार के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें करीब नौ लाख श्रमिक और दो लाख प्रवासी व्यापारी या नौकरी-पेशा वर्ग है। 4.28 लाख श्रमिकों ने प्रदेश में आने के लिए और 1.6 लाख के करीब श्रमिकों ने जाने के लिए आवेदन किया है। यहां से जाने के इच्छ़ुक आवेदकों में अधिकांश बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल व असम के श्रमिक शामिल हैं।

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सरकार की चिंता इस बात की है कि बड़ी संख्या में प्रवासियों व श्रमिकों का प्रदेश से आवागमन होना है। इनमें से करीब 1.25 लाख श्रमिकों व 50 हजार व्यापारियों या नौकरी-पेशा वर्ग ने ग्रीन जोन में शामिल प्रदेश के छह जिलों के लिए आवेदन किया है। इनमें सिरोही, जालौर, बूंदी, बारां, प्रतापगढ़ व श्रीगांगनर जिले शामिल है। इन जिलों में महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब व मध्य प्रदेश से श्रमिकों व प्रवासियों को आना है। इनमें से जालौर, सिरोही, श्रीगंगानगर और बूंदी ऐसे जिले हैं, जहां अभी तक एक भी काेरोना पॉजिटिव नहीं मिला है। ऐसे में यहां आने वाले प्रवासियों व श्रमिकों से संक्रमण का गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। जरूरी है कि इन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटाइन करने और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कराया जाए, ताकि कोरोना को फैलने से रोका जा सके।

सरकार ने बनाई यह रणनीति

राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि श्रमिक व प्रवासी जैसे ही सीमा पर पहुंचेंगे तो वहां उनकी स्क्रीनिंग होगी। सरकारी साधनों से उन्हें गंतव्य तक पहुचाया जाएगा। गांव या शहर के पटवारी, तहसीलदार व नगर निगम के जोन आयुक्त की जिम्मेदारी होगी कि वे लगातार उन पर निगरानी रखें। पहले तो सीमा पर ही इन्हें कोरोना से बचाव को लेकर समझाया जाएगा। बताया जाएगा कि हाथ धोने व सोशल डिस्टेंसिंग से कैसे बचा जा सकता है। इसके बाद गांव और शहरों में शिक्षकों, आशा सहयोगिनियों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से सर्वे व जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर कर्फ्यू भी लगाया जाएगा। सिरोही के जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि गुजरात से आने वाले लोगों की रतनपुर बॉर्डर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। सरकार द्वारा तय गाइडलाइन का पूरा पालन हो रहा है। यहां श्रमिकों की भीड़ लगी होने के बावजूद उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने को लेकर समझाया जा रहा है।

श्रम विभाग ने अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी

श्रम मंत्री टीकाराम जुली ने कि जिला रोजगार अधिकारियों व श्रम अधिकारियों को प्रवासी श्रमिकों से जुड़े मुद्दों को हल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अन्य राज्यों से जो श्रमिक आए हैं, वे यदि यहां रोजगार करना चाहेंगे तो उन्हे प्रदेश में फैक्ट्रियों में काम पर लगवाया जाएगा और अगर कुछ समय बाद कोई अपना काम शुरू करना चाहेगा तो उसे जिला उद्योग केंद्रों के माध्यम से मदद की जाएगी। 

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