राजस्थानः गहलोत सरकार ने पूर्व सैनिकों के सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी में आरक्षण के नियम बदले
Gehlot government. राजस्थान सरकार ने पूर्व सैनिकों को सेवा लाभ से जुड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार ने भारतीय सेनाओं में सेवाएं देने वाले पूर्व सैनिकों को सेवा लाभ से जुड़े महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए हैं। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से पूर्व सैनिकों को राज्य सेवाओं में एक बार से अधिक (दोहरा) लाभ देने के संबंध में ये निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देशों के अनुसार, पूर्व सैनिक यदि लोक सेवा में नियोजन स्वीकार करता है तो वह पूर्व सैनिक संबंधी अपना स्टेटस खो देगा, केवल सिविल एम्प्लॉई या लोक सेवक के रूप में उसे आरक्षण के लाभ मिल पाएंगे। किसी भी पूर्व सैनिक की ओर से राज्य के अधीन किसी भी लोक सेवा में नियोजन स्वीकार कर लेने के बाद वह पूर्व सैनिक के रूप में अपनी प्रास्थिति यानी स्टेटस खो देगा और वह केवल लोकसेवक के रूप में ही माना जाएगा।
पूर्व सैनिक के रूप में मिलने वाले आरक्षण लाभ को लेने के बाद लोक सेवा के किसी पद पर पुनर्नियोजन स्वीकार करते ही उसका पूर्व सैनिक के रूप में कोई भी लाभ प्राप्त करने का अधिकार सामान्यत: समाप्त समझा जाएगा। पूर्व सैनिक अन्य लोक सेवकों को सामान्य स्थिति में अनुज्ञात आयु आदि की शिथिलता जैसे लाभ प्राप्त करने का अधिकारी माना जाएगा अर्थात राजस्थान सिविल सेवा (पूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम 1988 यथाशोधित के प्रावधानों के होते हुए भी किसी भर्ती से संबंधित सेवा नियमों में आयु संबंधी जो शिथिलता अन्य लोक सेवकों/अभ्यर्थियों को देय है। वह पूर्व सैनिक को भी देय होगी अर्थात आयु संबंधी शिथिलता के संबंध में दोनों नियमों में जो भी हितकर प्रावधान है, उसका लाभ पूर्व सैनिकों को मिलेगा।
राज्य सरकार के इन निर्देशों को आगामी स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश के सीकर, चूरू, झुंझुनूं व अलवर जिलों में काफी मात्रा में पूर्व सैनिक रहते हैं। राज्य के कई जिलों की राजनीति को पूर्व सैनिक प्रभावित करते हैं। अब इन्हें खुश करके अशोक गहलोत सरकार ने चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया है।