राजस्थान में अब जनता और जनप्रतिनिधियों से लिया जाएगा बिजली आपूर्ति का फीडबैक
power supply. राजस्थान में जिम्मेदार अधिकारियों को हर रोज पांच-पांच लोगों से बात कर बिजली आपूर्ति की स्थिति पर रिपोर्ट बनानी होगी।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में अब बिजली कंपनियों को बिजली आपूर्ति के बारे में प्रतिदिन आम आदमी और जनप्रतिनिधियों से फीडबैक लेना होगा। जिम्मेदार अधिकारियों को हर रोज पांच-पांच लोगों से बात कर बिजली आपूर्ति की स्थिति पर रिपोर्ट बनानी होगी। राजस्थान में तेज गर्मी का दौर शुरू होते ही बिजली की मांग बढ़ गई है। मांग को पूरा करने में बिजली कंपनियों को काफी मशक्कत करना पड़ रही है। चुनाव का माहौल होने से ज्यादा कटौती करने की स्थिति भी नहीं है। साथ ही, बिजली आपूर्ति को लेकर शिकायतें आ रही हैं। इसका एक बड़ा कारण जयपुर समेत प्रदेशभर में 16 अप्रैल को आए अंधड़, तूफान और बरसात से विद्युत तंत्र को नुकसान पहुंचना है।
अकेले जयपुर डिस्कॉम की बात की जाए तो विभिन्न जिलों में आठ पावर ट्रांसफॉर्मर, 489 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर व 2500 पोल क्षतिग्रस्त हुए। इसमें करीब पांच करोड़ से अधिक के नुकसान का आकलन अभी तक किया जा चुका है। यह स्थिति पूरे राज्य की है, क्योंकि अंधड़ और तूफान से लगभग पूरा राज्य प्रभावित था। हालांकि, डिस्कॉम प्रशासन का दावा है कि सभी मुख्य लाइनों को बहाल कर दिया है, लेकिन हकीकत में अभी भी कई ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति अस्त-व्यस्त चल रही है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए वोट पड़ने हैं। ऐसे में बिजली की आपूर्ति को लेकर लोगों का गुस्सा न बढ़े और चुनावी मुद्दा न बने, इसके लिए जनता का फीडबैक लेना शुरू किया गया है। जयपुर डिस्कॉम ने इसके लिए आदेश जारी किए हैं। बिजली आपूर्ति की सच्चाई का पता लगाने के लिए त्रिस्तरीय मॉनिटरिंग शुरू की गई है।
सर्किल, जोन और प्रबंध निदेशक के स्तर पर अधिकारी हर रोज पांच-पांच लोगों से उनके क्षेत्र में बिजली आपूर्ति का फीडबैक लेंगे और इसकी समीक्षा कर रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों में कृषि क्षेत्र की बिजली आपूर्ति की मॉनिटरिंग भी मुख्यालय स्तर से शुरू की गई है। पहले भी हुई ऐसी कवायद बिजली विभाग के सूत्र कहते हैं कि इस तरह की कवायद पहले भी होती रही है, लेकिन अभी इसका बड़ा कारण चुनाव है। पिछले दिनों भाजपा के कई बड़े नेताओं ने सार्वजनिक मंच से बिजली व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं और चुनाव प्रचार के दौरान गांवों में होने वाली छोटी सभाओं में बिजली की आपूर्ति एक बड़ा मुद्दा बन कर सामने आ रही है। अधिकारियों का कहना है कि फीडबैक की कवायद से आपूर्ति को सुधारने मे मदद मिलेगी और फील्ड में काम कर रहे कर्मचारियों पर भी दबाव बढ़ेगा।