फारुख अब्दुल्लाह ने की प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ, अजमेर पहुंच दरगाह कि जियारत की
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्लाह मंगलवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर अजमेर पहुंचे। उन्होंने नरेंद्र मोदी की तारीफ के पुल बांधे।
अजमेर, (जेएनएन)। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्लाह मंगलवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर अजमेर पहुंचे। अब्दुल्लाह ने यहां सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हाजरी देकर अमन चैन की दुआ मांगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ के पुल बांधे और कश्मीर समस्या के समाधान के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों की तारीफ की साथ ही राज्यपाल सतपाल मलिक को अपने बयानों में संजीदगी बरतने की सलाह दे डाली।
अब्दुल्लाह ने कहा की राज्यपाल मलिक का काम जम्मू कश्मीर में अमन चैन का संंदेश देना है ना की नफरत फैलाना। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्लाह का मोदी विरोध जग जाहिर है। लेकिन जब वो अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पहुंचे तो उनके सुर बदले हुए थे।
फारुख अब्दुल्लाह ने यहां जियारत के बाद जब मीडिया से बात की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों में कसीदे पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फारुख अब्दुल्लाह ने पीएम मोदी द्वारा कश्मीर समस्या के समाधान के लिए किए जा रहे प्रयासों को सकारात्मक करार दिया। उन्होंने मोदी का आभार जताया कि मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से कश्मीर समस्या के समाधान को लेकर बात की है। संभव है अब्दुल्ला ने तब तक देश के विदेश मंत्री का यह बयान नहीं सुना हो कि प्रधानमंत्री ने ट्रम्प से कश्मीर समस्या के समाधान की कोई बात नहीं की।
फारुख अब्दुल्लाह ने कहा कि आज सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह पर वतन के लिए दुआ की है। देश फिरकापरस्ती और हिंंदू मुस्लिम विवाद से दूर रहे। साथ ही कश्मीर पिछले 70 साल से जिस दर्द को भुगत रहा है उसका समाधान हो।
अपनी अजमेर यात्रा के दौरान फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक को भी आड़े हाथों लिया। फारुख अब्दुल्लाह ने कहा की राज्यपाल सतपाल मलिक का काम प्रदेश में अमन चैन का है, नाकि नफरत फैलाने का। अब्दुल्ला ने कहा की हालांकि सतपाल मलिक ने अपना बयान वापस ले लिया है लेकिन उन्हें अपने बयानों में संजीदगी बरतनी चाहिए।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्मंत्री फारुख अब्दुल्लाह दरगाह पिछले दिनों में जब अजमेर दरगाह जियारत करने आए थे तब उनके यहां से लौटने के बाद ही जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों ने पुलवामा हमला किया था। इधर, फारुख अब्दुल्लाह ने तब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पाकिस्तान से बातचीत करने की अपेक्षा जताई थी और मोदी की कश्मीर नीतियों की काफी आलोचना की थी।