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Rajasthan: 1267 करोड़ के सिंडिकेट बैंक घोटाले में ईडी ने 91.80 करोड़ की संपत्ति की अटैच

Syndicate Bank Scam 1267 करोड़ रुपये के सिंडिकेट बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ा कदम उठाते हुए आरोपितों की 91.80 करोड़ को प्रॉपर्टी अटैच की है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 07:05 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 07:05 PM (IST)
Rajasthan: 1267 करोड़ के सिंडिकेट बैंक घोटाले में ईडी ने 91.80 करोड़ की संपत्ति की अटैच

जागरण संवाददाता, जयपुर। Syndicate Bank Scam: राजस्थान में हुए 1267 करोड़ रुपये के सिंडिकेट बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा कदम उठाते हुए आरोपितों की 91.80 करोड़ को प्रॉपर्टी अटैच की है। इससे पहले भी आरोपितों की संपत्ति अटैच की गई थी। घोटाले के मुख्य आरोपित चार्टेड एकाउंटेंट (सीए) भारत बंब, शंकर लाल खंडेलवाल और अन्य पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ये कार्रवाई की गई है। उल्लेखनीय है कि मार्च, 2016 में सिंडिकेट बैंक घोटाला सामने आया था। इसमें गुमान ग्रुप के डायरेक्टर शंकर लाल खंडेलवाल व सीए भारत बम्ब सहित अन्य ने सिंडिकेट बैंक अफसरों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया था। यह घोटाला वर्ष 2011 से मार्च 2016 की अवधि में हुआ था।

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ईडी द्वारा की गई कार्रवाई में राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में अटैच की गई। जिसमें से 10 करोड़ की प्रॉपर्टी सिर्फ जयपुर और उदयपुर में कुर्क की गई। इसमें आरोपितों के परिवार, एसोसिएट, कर्मचारियों के नाम से संपत्तियां मिली हैं। इनमें प्लॉट, दुकानें, ऑफिस फ्लैट, एग्रीकल्चर लैंड और बंगले शामिल हैं। अब तक इस केस मे कुल 478.38 करोड़ की प्रॉपर्टी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अटैच की जा चुकी है। इसके साथ कार्रवाई आगे भी जारी है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सिंडिकेट बैंक की तीन शाखाओं में चार कारोबारियों ने 386 खाते खोले थे। इसमें बैंक के पांच एक्जीक्यूटिव्स ने उनकी मदद की। इनमें फर्जी चेक, लेटर ऑफ क्रेडिट और एलआइसी पॉलिसियों के जरिए 1267 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई थी। जिसके चलते दिल्ली, जयपुर, उदयपुर में कई जगह छापेमारी भी की गई थी।

ऐसे किया घोटाला

सीए भरत बंब ने अपने परिचितों के दस्तावेजों से फर्जी फर्में बनाई थीं। सिंडीकेट बैंक के अफसरों से मिलीभगत कर के इन फर्जी फर्मों के खाते खोल लिए। इन खातों में जाली चेक लगा कर क्लियरेंस से पहले ही रकम क्रेडिट करवा ली गई थीं। क्लियरेंस की अवधि पूरी होने से पहले फिर से नया जाली चेक लगा दिया जाता या फर्जी बिलों को पेश कर दिया जाता था। इस तरह वास्तव में रकम आए ही बैलेंस क्रेडिट कर रकम का उपयोग करते रहता था। इसी तरह जाली एलआइसी की पॉलिसियों के आधार पर ओवर ड्राफ्ट की सुविधा लेकर बैंक से रकम निकाल लेता। जांच में बंब की फर्जी फर्मों पर कुल 1055 करोड़ रुपये का बकाया निकला था। इन लोगों के नाम से लोन भी लिया गया था, जो नहीं चुकाया गया। इस मामले में सिंडिकेट बैंक की उदयपुर शाखा के मैनेजर एसके गुप्ता आरोपितों के साथ मिलीभगत करने में मुख्य भूमिका अदा की थी। बैंक के अन्य अफसरों को भी गुप्ता ने ही अपने साथ मिलाया था। 


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