राजस्थान में पेयजल संकट के आसार, 831 में से सिर्फ 123 बांध, तालाब ही पूरे भर पाए
इस बार के मानसून में औसत से कम बारिश ने राजस्थान में पेयजल संकट की स्थिति खडी कर दी है। राजस्थान के कुल 831 बांधों और तालाबों में से सिर्फ 123 पूरे भर पाए है।
जयपुर,जेएनएन। इस बार के मानसून में औसत से कम बारिश ने राजस्थान में पेयजल संकट की स्थिति खडी कर दी है। राजस्थान के कुल 831 बांधों और तालाबों में से सिर्फ 123 पूरे भर पाए है। सबसे बुरी स्थिति राजधानी जयपुर की दिख रही है। यहा जलापूर्ति के मुख्य स्रोत बीसलपुर बांध से 30 अप्रेल के बाद पानी की सप्लाई बंद किए जाने की तैयारी की जा रही है, क्योंकि इस बार बांध में बहुत कम पानी आ पाया है। हालात से निपटने के लिए विभाग ने कार्ययोजना भी तैयार की है।
राजस्थान में इस बार मानसून ने एक बार फिर धोखा दिया और उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हो पाई। राजस्थान में मानसून के दौरान औसतन 508 मिमी बारिश् होती है, लेकिन इस बार 497 मिमी बारिश दर्ज की गई यानी औसत से कम बारिश हुई। राज्य के सात में से पांच सम्भागा जयपुर, अजमेर, उदयपुर, बीकानेर और जोधपुर में सामान्य से कम बारिश हुई। जोधपुर में सामान्य के मुकाबले आधी बारिश भी नहीं हुई। इसी के चलते बांधों और तालाबों में भी पानी की आवक कम हुई।
राजस्थान में नदियो का अभाव है। हमेशा बहने वाली सिर्फ एक चम्बल नदी है। शेष राजस्थान या तो नहरोंं के भरोसे है या तालाबों और बांधों के भरोसे पर है। बारिश्क कम होने के कारण राजस्थान के कुल 831 छोटे बडे बांधों और तालाबों में से सिर्फ 123 ही पूरे भर पाए है, जबकि 385 आंशिक भरे हुए,वहीं 323 पूरी तरह खाली है। इसी के चलते राजस्थान में जोधपुर, बीकानेर, अजमेर और जयपुर सम्भाग के जिलों में इस बार पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है।
सबसे बुरी स्थिति जयपुर में- इस बार पेयजल संकट के मामले मे सबसे बुरी स्थिति जयपुर की होती दिख रही है। जयपुर राजस्थान का सबसे बडा जिला और शहर है और जयपुर शहर की 40 लाख से ज्यादा आबादी के लिए पेयजल का एकमात्र स्रोत टोंक जिलेमें स्थित बीसलपुर बांध है। इस बांध में उदयपुर सम्भाग के जिलोंकी हुई बारिश का पानी आता है, लेकिन इस बार उदयपुर सम्भाग के जिलों में भी बारिश कम होने के कारण इस बाध में पर्याप्त पानी ही नहीं आया। इस बार यह बांध सर्दियों की शुरूआत में ही खाली होने लगा है और जलदाय विभाग की सूत्रों का कहना है कि 30 अप्रेल के बाद यहां से पेयजल आपूर्ति रोक दी जाएगी, क्योंकि इस बांध में क्षमता का एक चैथाई पानी भी नहीं है बचा है।
विभाग न अभी से जयपुर में पेयजल आपूर्ति में 30 से 50 फीसदी की कटौती शुरू कर दी है। अहम बात यह है इस बांध से जयपुर के अलावा अजमेर और टोंक को भी पानी की आपूर्ति की जाती है। ऐसे मे करीब 80 लाख से ज्यादा जनसंख्या को इस बांध से पानी मिलता हैं।
बनानी पडी है आपात योजना- इस संकट को कम करने के लिए जलदाय मंत्री बी.डी.कल्ला ने विभाग को आपात योजना बनाने के निर्देश दिए है। इसके तहत जयपुर में 2009 से बंद पड़े 273 ट्यूबवेल को सही कराने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही 279 नए ट्यूबवेल खोदने की भी मंजूरी दी गई है। इसके अलावा अन्य जिलों के लिए फलोरोइड प्रभावित गांव-ढाणियों में 235 आरओ प्लान्ट लगाने, प्रदेश की 35 शहरी जलापूर्ति योजनाओं एवं 300 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं में सुधारने, 750 हैण्ड पम्प खुदवाने का फैसला भी किया गया है।