राजस्थान में छात्राओं को एक दिन का प्राचार्य बनाकर आगे बढ़ाती हैं कल्पना, मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
Dr Kalpana Sharma. डॉ. कल्पना शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हुई हैं।
जयपुर, मनीष गोधा। आपणी लाडो, आगे बढ़ो, सयानी बनो- यह एक थीम है, जिस पर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की बनेड़ा तहसील का स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल चलता है। स्कूल की प्राचार्य डॉ. कल्पना शर्मा हर सााह वरिष्ठ छात्राओं में से एक को एक दिन के लिए प्राचार्य बना देती हैं। उस दिन स्कूल वह छात्रा ही चलाती है। यह एक ऐसा नवाचार है, जिसके माध्यम से कल्पना शर्मा इस पिछड़े क्षेत्र की छात्राओं में आगे बढ़ने की ललक पैदा करती हैं। ऐसे ही कई नवाचारों के लिए डॉ. कल्पना शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हुई हैं।
उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में एमएससी करने के बाद उन्होंने अरावली पर्वत श्रृंखला में पाई जाने वाली उस घास पर शोध किया, जिसे मेवाड़ के महाराणा प्रताप ने खाया था। पीएचडी करने के बाद उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग से व्याख्याता की परीक्षा पास की। पूरे राजस्थान में वे दूसरे नंबर पर रहीं और 1996 में एक सरकारी स्कूल में व्याख्याता के रूप में उनका करियर शुरू हुआ। जीव विज्ञान के अपने ज्ञान को उन्होंने अपनी पदस्थापना वाले हर स्कूल में भरपूर उपयोग किया। वहां हर्बल गार्डन और नर्सरियां विकसित कीं।
उन्होंने बताया कि अभी जिस स्कूल में हैं, वहां भी उन्होंने इस तरह के गार्डन बच्चों से ही तैयार करवाए हैं। हर बच्चे को उसके जन्मदिन पर एक पौधा उपहार में दिया जाता है और यह पौधा यहीं तैयार होता है। उन्होंने स्कूल में नामांकन बढ़ाने के लिए उन्होंने आपणी लाडो, आगे बढ़ो, सयानी बनो- थीम पर ही पूरे इलाके में एक रथयात्रा निकाली। वे बताती हैं कि 2016 में जब वे यहां आईं तो सिर्फ 85 बच्चे थे। यह यात्रा निकाली और हर घर में संपर्क किया। आज यहां स्कूल में 293 बच्चे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो निजी स्कूल छोड़कर आए हैं। वे स्कूल छोड़ चुके बच्चों को 'मिस यू' कार्ड देकर बुलाती हैं। जो बच्चे नियमित तौर पर स्कूल आते हैं, उनकी माताओं को जागरूक माता के रूप में सम्मानित किया जाता है।
कल्पना ने बताया कि पुरस्कार लेने से पहले उनकी प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई। प्रधानमंत्री ने नामांकन व ड्रॉपआउट की समस्या के बारे में उनके प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई किस्सा भी पूछा जो उन्हें जिंदगी भर याद रहे। इस पर उन्होंने एक छात्रा की कहानी सुनाई, जिसके परिवार वाले उसे जीव विज्ञान विषय नहीं दिलाना चाहते थे, लेकिन उनके कहने पर दिलाया। बाद में उस बच्ची से उनका संपर्क टूट गया, लेकिन सात-आठ साल बाद वह छात्रा उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, प्लानिंग एंड रिसर्च में जीव विज्ञान की लेक्चरर के रूप में मिली। छात्रा का नाम सविता सालवी था। कल्पना बोली यह कहानी प्रधानमंत्री को बहुत अच्छी लगी।