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Rajasthan: जयपुर के कोटखावदा में राजेश पायलट की मूर्ति हटाने को लेकर विवाद

Rajasthan सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की मूर्ति हटाए जाने को लेकर रविवार को विवाद हो गया। जयपुर जिले के कोटखावदा में कुछ लोगों ने राजेश पायलट की मूर्ति हटाकर एक खुले मैदान में ले जाकर लगा दी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 02:44 PM (IST)
Rajasthan: जयपुर के कोटखावदा में राजेश पायलट की मूर्ति हटाने को लेकर विवाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट। फाइल फोटो

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की मूर्ति हटाए जाने को लेकर रविवार को विवाद हो गया। दरअसल, जयपुर जिले के कोटखावदा में शनिवार रात कुछ लोगों ने राजेश पायलट की मूर्ति हटाकर एक खुले मैदान में ले जाकर लगा दी। रविवार सुबह जब लोगों को पता चला तो दो पक्ष आमने-सामने हो गए। नगर पालिका के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और मूर्ति को वापस पुराने स्थान पर ही लगाने का प्रयास करने लगे। इस पर मूर्ति हटाने वाले लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। हालांकि बाद में क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक वेदप्रकाश सोलंकी के हस्तक्षेप के बाद मूर्ति को एक सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया। सोलंकी ने कहा कि कुछ दिनों में सम्मानपूर्वक मूर्ति को फिर स्थापित किया जाएगा।

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राजेश पायलट को संजय गांधी लाए थे राजनीति में
गौरतलब है कि राजेश पायलट पार्टी के उन दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं, जिन्होंने हमेशा कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की वकालत की और इसके लिए संघर्ष भी किया, लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। बताया जाता है कि राजेश पायलट को संजय गांधी राजनीति में लाए थे। उन्होंने पहला 1980 में राजस्थान के भरतपुर से लड़ा था और इसके बाद 1984 में दौसा संसदीय क्षेत्र को कार्यक्षेत्र बनाया। 1989 को छोड़कर वह 1999 तक लगातार यहां से सांसद रहे। राजेश पायलट के साथ लंबे समय तक काम कर चुके राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरडी गुर्जर के अनुसार, 1993 में कांग्रेस के त्रिकुटी महा अधिवेशन में कार्यसमिति के लिए चुने जाने वाले दस सदस्यों में संगठन ने उनका नाम नहीं दिया था। इस पर उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी और प्रधानमंत्री नरसिंह राव की ओर से प्रस्तावित प्रत्याशी को चुनाव हराकर जीत हासिल की थी।


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