Move to Jagran APP

राजस्थान विधानसभा उपचुनावः अशोक गहलोत और सतीश पूनिया की अग्निपरीक्षा

Rajasthan Assembly byelection. राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में अशोक गहलोत और सतीश पूनिया की अग्निपरीक्षा हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 02:56 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 02:56 PM (IST)
राजस्थान विधानसभा उपचुनावः अशोक गहलोत और सतीश पूनिया की अग्निपरीक्षा
राजस्थान विधानसभा उपचुनावः अशोक गहलोत और सतीश पूनिया की अग्निपरीक्षा

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान की दो विधानसभा सीटों खींवसर और मंडावा के लिए अगले माह होने वाले उपचुनाव सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा दोनों ही के लिए महत्वपूर्ण होंगे। कांग्रेस में ये चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए अग्निपरीक्षा होंगे, वहीं भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ी है। दोनों सीटों पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होंगे। 24 अक्टूबर को परिणाम घोषित होंगे। जबरदस्त गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस में सबसे पहले तो दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के चयन में ही मुश्किल होगी। सीएम और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रही आपसी खींचतान का असर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव अभियान और परिणाम तक होगा।

loksabha election banner

पायलट खेमे ने अभी से यह कहना शुरू कर दिया कि विपक्ष में रहते हुए उन्होंने सभी उपचुनाव जीते हैं, लेकिन अब गहलोत के सीएम रहते हुए यदि एक भी सीट पर हार होती है तो सरकार की विफलता मानी जाएगी। उधर, भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खेमे की नजर भी इस चुनाव परिणाम पर रहेगी। आरएसएस के निकट माने जाने वाले सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी नेतृत्व ने भाजपा की राज्य इकाई को वसुंधरा राजे की छाया से बाहर निकालने का प्रयास किया है। मौजूदा हालात में वसुंधरा राजे प्रत्याशियों के चयन में दिलचस्पी लेने के मूड में नहीं हैं। चुनाव परिणाम के साथ ही यह तय हो जाएगा कि लोकसभा चुनाव के बाद जीत को दोहराने में कामयाब रहती है या प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस भाजपा के विजय रथ को रोक पाती है।

चुनाव के लिहाज से फैसले लेने में जुटी गहलोत सरकार

अशोक गहलोत सरकार लगातार ऐसे फैसले ले रही हैं, जिनसे कि कांग्रेस को चुनाव में फायदा मिल सके। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से सक्रिय हुई गहलोत सरकार ने आम आदमी को सीधा लाभ देने के लिए कई बड़े निर्णय किए। इसके साथ विधायकों व कांग्रेस नेताओं की सिफारिश पर पिछले एक सप्ताह में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले किए गए। स्थानीय राजनीति को प्रभावित करने वाले शिक्षक, चिकित्सक व पटवारी तक के तबादले कांग्रेसियों की सिफारिश पर किए गए। सीएम खुद छोटे से छोटा विषय खुद देख रहे हैं।

उधर, डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट समर्थक सरकार से जुड़ी विफलताओं को लगातार आलाकमान तक पहुंचाने में जुटे हैं। दोनों सीटों पर जीत या हार कांग्रेस और भाजपा बहुत मायने रखती है। इसका कारण यह है कि दोनों सीटों पर उपचुनाव के बाद स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव भी होने हैं। दोनों सीटों के नतीजे स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव परिणाम पर भी असर डाल सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि मंडावा से विधानसभा चुनाव जीते भाजपा विधायक नरेंद्र खीचड़ को पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ाया और वे जीतकर संसद में पहुंच गए। वहीं, खींवसर से विधायक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने भाजपा के समर्थन से लोकसभा चुनाव लड़ा और वे सांसद बन गए। अब इन दोनों जाट बहुल सीटों पर चुनाव हो रहे हैं।

बेनीवाल मांग रहे खींवसर सीट

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने दैनिक जागरण को बताया कि मैंने भाजपा नेतृत्व से खींवसर सीट समझौते में हमारी पार्टी के लिए छोड़ने का आग्रह किया है। लोकसभा चुनाव में हमारा समझौता हुआ था, अब मैं एनडीए के साथ हूं। उन्होंने कहा कि खींवसर सीट भाजपा हमारे लिए छोड़े और हम मंडावा में भाजपा प्रत्याशी का समर्थन करेंगे।

राजस्थान की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.