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राजस्थान में सामान्य से 10 फीसद अधिक बारिश, अब तक 22 लोगों की मौत Jaipur News

Rain in Rajasthan. मौसम विभाग ने राजस्थान में मानसून का यह दौर 31 जुलाई तक सक्रिय रहने की संभावना जताई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 07:21 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 12:58 PM (IST)
राजस्थान में सामान्य से 10 फीसद अधिक बारिश, अब तक 22 लोगों की मौत Jaipur News
राजस्थान में सामान्य से 10 फीसद अधिक बारिश, अब तक 22 लोगों की मौत Jaipur News

जागरण संवाददाता, जयपुर। पांच दिन तक लगातार बारिश के बाद सोमवार को राजस्थान में बारिश का दौर कुछ हल्का हुआ। प्रदेश के कई स्थानों पर हल्की बारिश हुई। पांच दिन तक तेज बारिश के कारण हुए विभिन्न हादसों में प्रदेशभर में अब तक 22 लोग अकाल मौत के शिकार हो गए। अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में कई बांध टूट गए। मौसम विभाग ने पहले प्रदेश में सामान्य से कम बारिश की संभावना जताई थी, लेकिन 24 जुलाई से अब तक सामान्य से 10 फीसद ज्यादा बारिश हो चुकी है।

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मौसम विभाग ने प्रदेश में मानसून का यह दौर 31 जुलाई तक सक्रिय रहने की संभावना जताई है। इस बार मानसून ने प्रदेश में लगभग एक महीने की देरी से पूरी तरह से सक्रिय हुआ, लेकिन जब सक्रिय हुआ लोगों की सांसें फुला दीं। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार बारिश जनित हादसों से 22 लोगों की मौत हो गई। इनमें सीकर और जयपुर जिलों में सबसे ज्यादा छह-छह लोग मारे गए। वहीं, पाली में चार, झुझुंनू में तीन, बूंदी, भीलवाड़ा और जोधपुर में भी एक-एक व्यक्ति की बारिश से हुए हादसों में मौत हुई।

अभी तक सामान्य से 10 फीसद तक ज्यादा बारिश

प्रदेश में अभी तक सामान्य से 10 फीसद तक ज्यादा बारिश हो चुकी है। इनमें सीकर और झुझुंनू जिलों में तो सामान्य से दोगुनी बारिश हुई है। जयपुर के साथ दौसा, सवाई माधोपुर, कोटा, बारां, झालावाड़, डूंगरपुर और बांसवाड़ा में भी सामान्य से ज्यादा बारिश हो चुकी है। बारिश के कारण सीकर, टोंक, कोटा और बूंदी में बाढ़ के हालात पैदा हो गए, जिससे लोगों का काफी नुकसान हुआ है। वहीं, भारी बारिश के कारण काफी स्थानों पर सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। प्रदेश में आधा दर्जन बांध टूटने की बात आपदा प्रबंधन विभाग ने स्वीकार की है।

मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में अभी दो-तीन दिन मानसून और मेहरबान रहेगा। पहले मौसम विभाग ने इस दौर में केवल 29 जुलाई तक ही बारिश की सूचना दी थी, लेकिन अब 31 जुलाई तक प्रदेश में अच्छी बारिश की संभावना जताई है। मंगलवार को डूंगरपुर, राजसमंद, सिरोही, उदयपुर, और पाली में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। बुधवार को बारां और झालावाड़ में भारी बारिश के आसार है।

पहली बारिश में ही बेहाल हुआ जोधपुर, विभागों की तैयारियां हुई बौनी साबित
रविवार को हुई तेज बारिश आफत की बारिश बनकर बरसी जिसका असर दूसरे दिन भी देखने को मिला। जोधपुर में कई जर्जर मकान जमींदोज हुए। सड़कों पर जमीन धंसने के कई मामले भी सामने आए। इन सब के साथ निगम के दावों की पोल भी खुल गR, इधर बिजली के तारों से फैले करंट से अलग अलग हिस्सों में पशुधन के मरने की भी सूचना है। बारिश से परेशानी झेल रहे लोगो ने निगम और बिजली विभाग को खूब फोन भी लगाए लेकिन जिम्मेदार विभागों के अधिकारी लापरवाही पर चुप्पी साधे हुए हैं।

रविवार को हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश से शहर अस्त-व्यस्त नजर आया। जोधपुर के भीतरी शहर समेत अन्य स्थानों पर कई मकान ध्वस्त हुए ।सरदारपुरा क्षेत्र में एक मकान की पट्टियां गिरने से महिला की मौत हो गई, तो अलग अलग हिस्सों में गिरे मकानों में तीन से चार लोग घायल हो गए। सोमवार को शहर के भीतरी क्षेत्र में भी एक पुराना मकान भरभरा कर गिर गया, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ ।गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ साथ ही कोई जनहानि भी नहीं हुई ।इसके अलावा शहर के कई हिस्सों में अलग-अलग क्षेत्र में पेड़ों के गिरने, विद्युत पोलो में करंट फैलने से पशुओं के मौत के भी समाचार हैं । तेज बरसात के कारण शहर कई इलाकों में पानी भर गया जो सोमवार को भी खाली नहीं हो सका।

लगातार 20 घंटे से अधिक समय तक हुई बारिश में तकरीबन 156. 3 मिलीमीटर पानी बरसा लेकिन इस पानी से शहर की मुसीबतें कई गुना ज्यादा बढ़ गई, साथ ही जिम्मेदार विभागों की पोल भी खुल गयी। शहर के निचले हिस्सों में पानी भरा जो कि खाली नहीं हो पाया। इस कारण सड़को पर जाम की स्थिति रही। वहीं आये दिन सड़क सुरक्षा व्यस्था के नाम पर चालान काटने वाली ट्रैफिक पुलिस भी पूरे शहर से नदारद ही दिखी। निगम के अधिकारी कर्मचारी हताश दिखे और उन्होंने फोन उठाने तक की जहमत नहीं की कई कॉलोनियों के बाहर सड़क जमीन में धंस गई। शहर के सांगरिया सालावास रोड क्षेत्र में सड़क के टूटने और जमीन में धंसने से तकरीबन 20 फीट बड़ा और गहरा गड्ढ़ा बन गया लेकिन जिम्मेदार लोग मौके पर नहीं पहुंचे। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने ही मौके पर बैरिकेड लगाकर प्रारंभिक बचाव किए, लेकिन मिट्टी का कटाव लगातार जारी रहने से गड्ढे का माप बढ़ता ही गया। इधर रातानाडा के डूब क्षेत्र में स्थित पुलिस लाइन के क्वार्टरों में भी पानी भर गया ,जिस की निकासी का उचित प्रबंधन नहीं होने से पुलिसकर्मियों के परिवार परेशान नजर आए। 
पुलिस परिवारों ने घर का सामान छत पर रख कर रात बिताई ।

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