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हल्दीघाटी युद्ध की तिथि को लेकर भ्रमित हो रहे पर्यटक, शिलालेखों पर आज भी भिन्न-भिन्न दर्ज हैं तिथियां

हल्दीघाटी युद्ध कब हुआ इसकी तिथि को लेकर पर्यटक भ्रमित हो रहे हैं। हल्दीघाटी की रणभूमि रक्ततलाई पर लगे अलग-अलग शिलालेख ही लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 12:10 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 12:10 PM (IST)
हल्दीघाटी युद्ध की तिथि को लेकर भ्रमित हो रहे पर्यटक, शिलालेखों पर आज भी भिन्न-भिन्न दर्ज हैं तिथियां

उदयपुर,जागरण संवाददाता। हल्दीघाटी युद्ध कब हुआ, इसकी तिथि को लेकर पर्यटक भ्रमित हो रहे हैं। हल्दीघाटी की रणभूमि रक्ततलाई पर लगे अलग-अलग शिलालेख ही लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। जिनमें युद्ध की तिथि अलग-अलग दर्शाई है। इतिहास में जहां हल्दीघाटी की युद्धतिथि 18 जून 1576 दर्ज है, वहीं यहां लगे एक शिलालेख में 21 जून 1576 की लोगों को गलत जानकारी दे रहा है। 

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रणभूमि रक्ततलाई में सफेद रंग के पत्थर पर खुदा प्राचीन शिलालेख रक्ततलाई के बीचों-बीच कब्रिस्तान के बाहर की ओर लगा है, जहां पर्यटक लाल पत्थरों से बने ट्रेक पर चलकर आते हैं। इस पर हल्दीघाटी युद्ध की तिथि 21 जून 1576 लिखी है। रक्तलाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पुराने स्मारकों और पुरालेखों को संरक्षित करने के दौरान इसे भी सुरक्षित रखा गया है। दूसरी ओर यहां उद्यान विकसित होने के बाद पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को सही जानकारी देने के लिए रेड स्टोन से एक नया शिलालेख लगाया, जिस पर हल्दीघाटी युद्ध की तिथि 18 जून 1576 बताई गई है।

इन दोनों ही शिलालेखों को पढऩे के बाद पर्यटक असमंजस में पड़ जाते हैं कि हल्दीघाटी युद्ध की सही तिथि कौन सी है। इस ओर कुछ पर्यटकों ने दोनों विभागों के अधिकारियों को जानकारी दी लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर, पुरातत्व विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं इतिहासकार खलील तनवीर बताते हैं कि हल्दीघाटी युद्ध की सही तिथि 18 जून ही है।

कुछ दशक पहले तक इतिहासकारों में इस युद्ध की तिथि को मतान्तर था। जिसके बाद कई गोष्ठियों और मंथन के बाद यह निष्कर्ष निकला कि 18 जून को ही सही तिथि माना जाएगा। हो सकता है जिस शिलालेख पर 21 जून की तिथि लिखी है वह तीन दशक से भी पुराना हो। इससे पर्यटक दिग्भ्रमित अवश्य हो रहे हैं लेकिन विभाग की जिम्मेदारी है कि पर्यटक को सही जानकारी मिले।

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