कचरा उठाने वाले बच्चों के लिए फरिश्ता बनीं कलेक्टर, उठाई शिक्षा की जिम्मेदारी
कलेक्टर आरती डोगरा ने 50 ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम किया सड़कों से कचरा संग्रहण का काम करते थे।
जयपुर , जागरण संवाददाता। गरीब परिवार के बच्चों के लिए आज भी शिक्षा एक सपने की तरह ही है। गरीब परिवारों के बच्चों के लिए आज के वक्त में भी शिक्षा हासिल करना उतना आसान नहीं जितना अन्य बच्चों के लिए है।
शिक्षा आज भी उनके लिए एक सपने की तरह है। लेकिन इसी बीच इन बच्चों के लिए अजमेर की कलेक्टर आरती डोगरा एक फरिश्ते के रूप में आई है। उन्होंने गरीब परिवारों के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है। कलेक्टर आरती डोगरा ने 50 ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम किया सड़कों से कचरा संग्रहण का काम करते थे।
कचरा संग्रहण वाले इन बच्चों की शिक्षा के लिए आरती डोगरा ने हिंदुस्तान जिंक की मदद ली है। आरती डोगरा की यह पहल अन्य अफसरों के लिए एक उदाहरण है। कल तक जो बच्चे स्कूल जाने का सपना लिए अपने कंधो पर कचरे का झोला लेकर चलते थे। वो अब अपने सपने को सच होता हुआ देख रहे है। कंधों पर स्कूल बैग लिए इन बच्चों ने अपने सपने को साकार करने की शुरूआत की है।
आरती डोगरा ने इन बच्चों का प्रवेश चाचियावास राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में करवाया है। इसके साथ ही शिक्षकों को इन बच्चों पर विशेष ध्यान देने की हिदायत भी दी है। आरती डोगरा कहा, ये बच्चे उस तबके से आते हैं जिन्हें शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है। स्कूल के साथ ही इनकी प्राइवेंट कोचिंग की व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने कहा कि अब औधोगिक घरानों के सहयोग से अन्य बच्चों को भी शिक्षा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।