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कैग ने माना- राजस्थान में पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता नहीं बरती गई

राजस्थान में पर्यावरण एवं वन्यजीवों को लेकर हुए अपराधों के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश स्तर पर समंवय समिति और जिला स्तर पर वन्यजीव अपराध नियंत्रण इकाईयों का गठन नहीं की गई।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 12:28 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 12:28 PM (IST)
कैग ने माना- राजस्थान में पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता नहीं बरती गई
कैग ने माना- राजस्थान में पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता नहीं बरती गई

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में पर्यावरण एवं वन्यजीवों को लेकर हुए अपराधों के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश स्तर पर समंवय समिति और जिला स्तर पर वन्यजीव अपराध नियंत्रण इकाईयों का गठन नहीं की गई। केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के बावजूद यह समिति नहीं बनना यह दिखाता है कि राज्य का वन एवं पर्यावरण विभाग वन और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील नहीं है।

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नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश अपराध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम से जुड़े हुए हैं। इनमें जंगली जानवरों को पकड़ना,उन्हे जहर देना,जाल में फंसाना और वन भूमि के उपयोग से जुड़े अपराध शामिल है । 31 मार्च, 2018 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए कैग की रिपोर्ट राज्य विधानसभा में पेश की गई। इसमें बताया कि प्रदेश में साल 2014 से 2016 तक पर्यावरण से जुड़े अपराध अधिक हुए।

रिपोर्ट में राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस इन दो सालों में देशभर में पर्यावरण से जुड़े 15,723 मामले दर्ज हुए इनमें से 6,382 प्रकरण प्रदेश में दर्ज हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय टाइगर कंजर्वेटरी के निर्देशों की पालना नहीं करते हुए सरिस्का और रणथंभौर सेूंचरी को पर्यटकों के लिए मानसून में खोला गया। यह प्रक्रिया सभी सालों में चली। इसके तहत दोनों सेंचरी में दस में से पांच जोन पर्यटकों के लिए खोले गए। इस दौरान पर्यटकों की आवक के कारण टाइगर को परेशानी हुई।

रिपोर्ट में कोटा के अमेदा जैविक पार्क के आसपास औधोगिक क्षेत्र, डं¨पग यार्ड और कच्ची बस्ती के कारण पर्याचरण को नुकसान हुआ। ऑडिट में पाया गया कि साल,2014-14 से 2017-18 तक दोनों सेंचूरी की 385.25 वर्ग किलोमीटर भूमि में अतिक्रमण के 36,975 मामले दर्ज हुए।

रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2013 से 18 के दौरान प्रदेश के वन क्षेत्र में अवैध खनन के 15,883 मामले दर्ज हुए।इनमें से 8,004 मामलों में जुर्माना लगाया गया और 7,879 मामले फिलहाल लंबित चल रहे हैं। कैग ने अवैध खनन पर रोक लगाने को लेकर किए गए उपाय सफल नहीं होने की बात भी कही है। 


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