Rajasthan: भारतीय किसान संघ ने कृषि कानूनों में गिनाई कमी
Rajasthan भारतीय किसान संघ को भी इन कानूनों में खामियां नजर आने लगी हैं। राजस्थान के कोटा में हाल ही में हुई भारतीय किसान संघ की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इन कानूनों के संबंध में चार प्रस्ताव पारित किए गए हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी दल आंदोलन कर रहे हैं। देशभर के कई किसान संगठन भी इन कानूनों पर अपना विरोध जता रहे हैं। अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ को भी इन कानूनों में खामियां नजर आने लगी हैं। राजस्थान के कोटा में हाल ही में हुई भारतीय किसान संघ की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इन कानूनों के संबंध में चार प्रस्ताव पारित किए गए हैं। इन प्रस्तावों में जहां उपज को कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के प्रावधान किए जाने के लिए चौथा कानून बनाए जाने की मांग की गई है। वहीं, कृषि संबंधी विवादों के निपटारे के लिए कृषि न्यायालयों की स्थापना की भी मांग की गई है।
यह भी कहा गया कि विवादों का निपटारा किसान के जिले में ही होना चाहिए। व्यापारियों का केंद्र और राज्य सरकार में बैंक सिक्योरिटी के साथ रजिस्ट्रेशन हो और यह जानकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध होनी चाहिए। आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर भंडारण सीमा से प्रतिबंध हटाए जाने को भी तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत बताई गई है। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आईएन बसवे गौड़ा ने कहा कि पराली जलाने के मामले में राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर रही हैं और किसानों से जबरदस्ती जुर्माना वसूल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसानों को फसल अवशेष और पराली उपयोगी बनाने के लिए 2500 रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाए। पंचायत स्तर पर किसानों को प्रशिक्षण देकर मशीनरी पर 50 फीसद छूट के भी निर्देश हैं।
संगठन की बैठक में किसानों से वसूली गई जुर्माना राशि वापस लौटाने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर संगठन सुप्रीम कोर्ट जा किसान संघ में बिना चर्चा के बीटी बैंगन को अनुमति दिए जाने को भी गलत ठहराया है। गौड़ा ने कहा कि पूर्व में दो बार बीटी कपास की अनुमति दी गई थी, लेकिन वह विफल रही। अब बीटी बैंगन के नाम पर जेनेटिक मॉडिफाइड फसलों को प्रसारित करने का दुस्साहस किया जा रहा है, जबकि संसद की स्थाई समिति, सर्वोच्च न्यायालय की एक्सपर्ट कमेटी और किसानों द्वारा इसको गलत ठहराते हुए विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेनेटिक मॉडिफाइड फसलें कैंसर का कारण बनती हैं। इसके साथ ही इससे और भी कई तरह की परेशानी खड़ी हो सकती है। किसान संघ ने प्रतिबंधित बीजों का उत्पादन करने वाले निर्माताओं पर कानूनी कार्रवाई की करने के साथ ही किसानों को भी उनका पैसा वापस लौटाए जाने की भी मांग रखी है।