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लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है गुर्जर आरक्षण आंदोलन

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने वाले गुर्जर समाज ने अब लोकसभा चुनाव में विरोध करने की चेतावनी दी है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 03:38 PM (IST)
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है गुर्जर आरक्षण आंदोलन

जयपुर, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गुर्जर समाज ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़कर सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के सामने संकट खड़ा कर दिया है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने वाले गुर्जर समाज ने अब लोकसभा चुनाव में विरोध करने की चेतावनी दी है।

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8 लोकसभा सीटों पर गुर्जरों की निर्णायक स्थिति के साथ 5 फीसदी आरक्षण की मांग से कांग्रेस सरकार के सामने परेशानियां खड़ी हो गई है। सरकार के सामने मुश्किल यह है कि विधानसभा चुनाव में गुर्जर बहुल क्षेत्रों में उसे उम्मीद से अधिक समर्थन मिला था,लेकिन अब यह वोट बैंक नाराज हो गया तो लोकसभा चुनाव में मिशन-25 में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

हालांकि गुर्जर आरक्षण आंदोलन का मामला कानूनी पचेदिगियों में फंसा हुआ है,लेकिन गुर्जर समाज को संतुष्ट करना अशोक गहलोत सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। गुर्जर समाज ने शुक्रवार को सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर में महापंचायत कर आंदोलन की शुरूआत कर दी।

मनाने में जुटे मंत्री,विधायक और अफसर

विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण की मांग को लेकर बार-बार आंदोलन की चेतावनी देने वाले गुर्जर समाज को वसुंधरा सरकार ने जैसे-तैसे आंदोलन से रोके रखा था। लेकिन इस बार आरक्षण संघर्ष समिति के आर-पार की लड़ाई के एलान के बाद अब सरकार के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है । आरक्षण आंदोलन की पदचाप को भांपते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खेल मंत्री अशोक चांदना,पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह सहित आधा दर्जन विधायकों और कई अफसरों को गुर्जर नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।

गुर्जर बहुल क्षेत्रों में पूर्व में पदस्थापित रहे पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को विभिन्न क्षेत्रों में तैनात किया गया है। यह माना जा रहा है कि आंदोलन की इस फांस का सीधा असर आने वाले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा, क्योंकि गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति पूर्व की भांति इस बार भी आरक्षण नहीं दिए जाने पर लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी को सबक सिखाने की चेतावनी दे चुकी है। यह बात अलग है कि समिति की यह फैसला समाज को कितना अपील कर पाएगा। राज्य की टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा क्षेत्र में करीब 2 लाख 45 हजार, भीलवाड़ा में 2 लाख 20 हजार, भरतपुर में 2 लाख, करौली-धौलपुर में 1 लाख 70 हजार, दौसा में 1 लाख 50 हजार, अजमेर-लोकसभा में 1 लाख 42 हजार, चित्तौडगढ़ में 1 लाख 43 हजार और कोटा लोकसभा क्षेत्र 1 लाख 36 हजार गुर्जर मतदाता है । इन आठ सीटों पर गुर्जर वोटों की संख्या को देखते हुए सत्तारूढ़ दल बीच का रास्ता निकालने में जुटी है।

सरकार और विपक्ष का रूख

उप मुख्यमंत्री एवं पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि केन्द्र सरकार को गुर्जर आरक्षण को लेकर कानूनी अड़चनों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और संगठन गुर्जर आरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है। वहीं भाजपा विधायक दल के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि गुर्जर समाज करवट लेता नजर आ रहा है, इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पडेगा।

गुर्जर नेता बोले,अब फैसला पंचायत स्थल पर होगा

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल करोड़ी सिंह बैंसला का कहना है कि अब फैसला टेबल पर नहीं,बल्कि महापंचायत में समाज के बीच होगा। उन्होंने कहा कि या तो सरकार आरक्षण दे नहीं तो लोकसभा चुनाव में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। कांग्रेस ने चुनाव घोषणा-पत्र में आरक्षण देने का वादा किया था जो अब सरकारी दस्तावेज बन चुका है।


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