जागरण संवाददाता, जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देशभर में सामाजिक सुरक्षा कानून बनाने और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की आवश्यकता बताई है। गहलोत ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस का जवाब देते हुए कहा, केंद्र सरकार को सामाजिक सुरक्षा कानून बनाकर जरूरतमंदों को पेंशन सहित अन्य सुविधाएं देने को लेकर कानून बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देशभर में पुरानी पेंशन योजना लागू होनी चाहिए। राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू की है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार का कोरोना प्रबंधन काफी अच्छा रहा। गहलोत ने कहा कि भाजपा का एक भी मुस्लिम सांसद लोकसभा और राज्यसभा में नहीं है। उत्तरप्रदेश में एक भी मुस्लिम विधायक भाजपा का नहीं है। ऐसे में भाजपा किस तरह से सबको साथ लेकर चलने की बात कहती है। उन्होंने कांग्रेस के फिर से सत्ता में वापसी का दावा करते हुए गहलोत ने कहा, राज्य सरकार स्वास्थ्य का अधिकार कानून बनाएगी। इससे पहले प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने विभिन्न मुददों को लेकर सरकार पर निशाना साधा ।

मुफ्त स्मार्ट फोन की योजना नहीं की बंद

विधानसभा में शिक्षामंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने कहा कि महिलाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन देने की योजना बंद नहीं की है। इस पर काम चल रहा है। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के सवाल के जवाब मेंं कल्ला ने कहा,2022 के बजट में मुख्‍यमंत्री डिजिटल सेवा योजना प्रारंभ करने की घोषणा की गई थी। इसमें लगभग एक करोड़ 33 लाख चिरंजीवी परिवारों की महिला मुखिया को तीन साल के इंटरनेट एक्‍सेस के साथ मुफ्त स्‍मार्ट फोन दिए जाने हैं। कल्ला ने कहा कि मुफ्त स्मार्टफोन योजना के लिए बजट में पहले 1200 करोड़ और फिर 3400 करोड़ का प्रावधान किया गया।

मंत्री विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस

भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा सचिव से मिलकर सीएम के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सौंपा है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने और जलदाय मंत्री महेश जोशी के खिलाफ रामलाल शर्मा ने विशेषाधिकार हनन को नोटिस दिया है। इसी तरह भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने राजस्व मंत्री रामलाल जाट,अनिता भदेल ने सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी एवं जोगेश्वर गर्ग ने कांग्रेस विधायक रफीक खान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।

भाजपा ने नोटिस में विधानसभा सचिव की ओर से उच्च न्यायालय में दिए गए जवाब को आधार बनाया गया है। जिसमें मर्जी से इस्तीफे नहीं देने की बात कही गई है। भाजपा का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष इस्तीफों के संबंध में पेश होने वाले छह मंत्रियों ने शेष 75 विधायकों पर इस्तीफे देने के लिए दबाव बनाया जो एक विधायक के विशेषाधिकार का सीधा हनन है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 25 सितंबर को कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन पर्यवेक्षक के रूप में पहुंचे थे।

बैठक में सीएम सहित सभी निर्णय सोनिया पर छोड़े जाने का प्रस्ताव पारित होना था। लेकिन सीएम बदले जाने के डर से गहलोत समर्थक विधायक बैठक में नहीं पहुंचे और सीधे विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर इस्तीफे दे दिए। अध्यक्ष ने दो महीने तक इस्तीफों पर कोई निर्णय नहीं किया तो राठौड़ ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। राठौड़ की याचिका के जवाब में विधानसभा सचिव ने कहा कि विधायकों ने अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर इस्तीफे वापस ले लिए और कहा कि उन्होंने दबाव में इस्तीफे दिए थे। अब वापस लेना चाहते हैं। इसलिए अध्यक्ष ने इस्तीफे नामंजूर कर दिए।

Edited By: Amit Singh