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Rajasthan: अशोक गहलोत के गुरु थे गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव, मप्र में होगा अंतिम संस्कार

Rajasthan राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव को अपना गुरु मानते थे। अपनी गांधीवादी सोच के लिए अशोक गहलोत सुब्बाराव को ही श्रेय देते हैं। गहलोत ने सुब्बाराव की मौत को व्यक्तिगत क्षति बताया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 05:29 PM (IST)
Rajasthan: अशोक गहलोत के गुरु थे गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव, मप्र में होगा अंतिम संस्कार
अशोक गहलोत ने गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव को श्रद्धांजलि अप्रित की। फोटोः ट्वीटर

जयपुर, जागरण संवाददाता। देश के जान-माने गांधीवादी विचारक एसएन सुब्बाराव का बुधवार को जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया है। वह 92 वर्ष के थे। जयपुर यात्रा पर आए सुब्बाराव को पिछले सप्ताह ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार शाम उन्हें हार्ट अटैक आया था और बुधवार सुबह उनका निधन हो गया। सुब्बाराव का अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश में मुरैना जिले के जौरा स्थित गांधी आश्रम में होगा। इधर, बुधवार को उनका पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए जयपुर के बिनोबा ज्ञान मंदिर में रखा गया, यहां पहुंचकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

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छह सौ डकैतों का कराया था आत्मसमर्पण

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सुब्बाराव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के जौरा जाएंगे। सात फरवरी, 1929 को बेंगलुरु में जन्में सुब्बाराव बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। वह 13 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए थे। वह देश-विदेशक में कैंप लगाकर युवाओं को गांधीवाद और अहिंसा के बारे में बताते थे। उन्हें 18 भाषाओं का ज्ञान था। अशोक गहलोत सुब्बाराव को अपना गुरु मानते थे। अपनी गांधीवादी सोच के लिए अशोक गहलोत सुब्बाराव को ही श्रेय देते हैं। अशोक गहलोत ने सुब्बाराव की मौत को व्यक्तिगत क्षति बताया है। सुब्बाराव ने साल, 1972 में कुख्यात डकैत मोहन सिंह, माधो सिंह सहित करीब 600 डकैतों का आत्मसर्मण कराया था। चंबल क्षेत्र को डकैतों से मुक्त कराने के लिए उन्होंने अभियान चलाया था। गौरतलब है कि डा. सुब्बा राव ने 14 अप्रैल 1972 को गांधी सेवा आश्रम जौरा में 654 डकैतों का समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और उनकी पत्नी प्रभादेवी के सामने सामूहिक आत्मसमर्पण कराया था। यहां उन्होंने गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी, जो अब समाज सेवा के कई काम कर रहा है।


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