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Rajasthan: उपभोक्ताओं को एक करोड़ से ज्यादा का घटिया घी बेचने के मामले में होगी कार्रवाई

Ghee राजस्थान में उपभोक्ताओं को एक करोड़ से ज्यादा का घटिया घी बेचने के मामले में सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने जांच रिपोर्ट के आधार पर अब लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 02:51 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 02:51 PM (IST)
Rajasthan: उपभोक्ताओं को एक करोड़ से ज्यादा का घटिया घी बेचने के मामले में होगी कार्रवाई
उपभोक्ताओं को घटिया घी बेचने के मामले में की जांच।

जागरण संवाददाता, जयपुर। सरस ब्रांड का घटिया घी बाजार में खपाने के मामले में राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएएफ) और जयपुर डेयरी के तत्कालीन अधिकरियों के साथ ही दोषी कंपनी पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने जांच रिपोर्ट के आधार पर लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बाजार के घटिया घी खपाने का मामला साल 2018 का है। जयपुर डेयरी और कोटा की फर्म मैसर्स शिव हेल्थ फूड के बीच दूध का घी बनाने का अनुबंध हुआ था, लेकिन शिव हेल्थ फूड द्वारा निर्मित घी जांच में घटिया गुणवत्ता का पाया गया था। आरसीडीएफ और जयपुर डेयरी के अधिकारियों ने इस खराब घी को नष्ट करवाने की बजाय केवल रिजेक्ट लिखकर छोड़ दिया था।

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इसका फायदा उठाते हुए फर्म ने घी बनाने की तारीख बदलकर उसे सस्ते दामों में बाजार में बेच दिया। जब तक इस पर रोक लगाई जाती, तब तक एक करोड़ 18 लाख रुपये से ज्यादा का घी बाजार में बेचा जा चुका था। इस तरह कंपनी द्वारा ना केवल उपभोक्ताओं की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया बल्कि आरसीडीएफ और जयपुर डेयरी के साथ ही सरस ब्रांड की छवि को भी नुकसान पहुंचाया गया।

अधिकारियों ने फर्म के खिलाफ नहीं की कार्रवाई

जांच में पाया गया है कि आरसीडीएफ और जयपुर डेयरी के अधिकारियों ने घी के घटिया गुणवत्ता का पाया जाने के बाद भी फर्म को ब्लैक लिस्ट नहीं किया। कंपनी से दो करोड़ रुपये की बैंक गारंटी और 50 लाख रुपये की परफॉर्मेंस सिक्योरिटी राशि भी नहीं प्राप्त की गई। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुबंध की शर्तों में यह उल्लेख था कि यदि फर्म शर्तों का उल्लंघन करती है तो बैंक गारंटी और सिक्योरिटी राशि जब्त की जा सकती है। अगर यह राशि जब्त की जाती तो आरसीडीएफ को खराब घी बेचने से हुई हानि से बचाया जा सकता था। कोटा डेयरी द्वारा बार-बार इस खराब घी की बिक्री की सूचना मुख्यालय के अधिकारियों को दी गई, लेकिन वे इसे अनदेखा करते रहे।

इस मामले में अनियमितता के कुछ अन्य मामले भी हैं, जिनकी अलग से जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट में बैंक गारंटी और परफॉर्मेंस सिक्योरिटी राशि प्राप्त कर जब्त नहीं किए जाने के मामले में उप महाप्रबंधक (डीपीएम) एचपी शर्मा और महाप्रबंधक (डीपीएम एवं प्रोजेक्ट ) एलसी बलाई को जिम्मेदार माना गया है। इन दोनों पर वाद दर्ज कर राशि वसूली की अनुशंसा की गई है। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा गया है। वहीं, घटिया घी बाजार में बिकने और कार्रवाई ना किए जाने के मामले में जयपुर डेयरी के तत्कालीन महाप्रबंधक (गुणवत्ता) जेडी सिंह को जिम्मेदार मानते हुए वाद दर्ज करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई को कहा गया है। 


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