Rajasthan: उदयपुर के लक्ष्मी निवास होटल मामले में आरोपितों ने पेश किए जमानत मुचलके
Rajasthan उदयपुर में लक्ष्मी विलास होटल के विनिवेश के मामले में जोधपुर की सीबीआइ कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में प्रदीप बैजल को भी अग्रिम आदेश तक सीबीआइ कोर्ट के समक्ष पेश होने से राहत मिल गई थी। इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
जोधपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के उदयपुर में लक्ष्मी विलास होटल के विनिवेश के मामले में जोधपुर की सीबीआइ कोर्ट में सुनवाई हुई। भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, लाजार्ड इंडिया लिमिटेड नई दिल्ली के तत्कालीन प्रबंध निदेशक आशीष गुहा व कांतिलाल कर्मसे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर हाईकोर्ट के आदेशों की पालना के तहत निर्धारित राशि के जमानत मुचलके पेश किए। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी भी आरोपित हैं, उन्हें हाईकोर्ट ने 15 अक्टूबर तक सीबीआइ कोर्ट में हाजिर होकर मुचलके भरने की छूट दी है। विनिवेश मंत्रालय के पूर्व सचिव प्रदीप बैजल को भी अग्रिम आदेश तक सीबीआइ कोर्ट के समक्ष पेश होने से राहत मिल गई थी। इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश के मामले में गुरुवार को जोधपुर में सीबीआइ कोर्ट में जस्टिस पीके शर्मा के समक्ष कांतिलाल कर्मसे व आशीष गुहा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। इन्होंने जमानत मुचलके पेश किए। इन्होंने दो लाख का व्यक्तिगत मुचलका और दो गवाहों ने एक-एक लाख रुपये का मुचलका पेश किया। इसके बाद भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी पेश हुई। सूरी ने पांच लाख रुपये का व्यक्तिगत मुचलका और दो गवाहों केशव सूरी और श्रद्धा सूरी ने ढाई-ढाई लाख रुपये के बॉन्ड पेश किए। वहीं, पूर्व आइएएस अफसर बैजल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जज एस अब्दुल नजीर व बीआर गवई की बैंच ने सुनवाई करते हुए अग्रिम आदेश तक सीबीआइ कोर्ट के समक्ष पेश होने से छूट दे दी थी। इसलिए वे पेश नहीं हुए। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति पेश की गई। मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।
जानें, क्या है मामला
उदयपुर के 252 करोड़ रुपये के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को महज 7.50 करोड़ रुपये में बेचकर सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, पूर्व आइएएस अफसर प्रदीप बैजल, आशीष गुहा व कांतिलाल कर्मसे के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। सीबीआइ कोर्ट ने गत 15 सितंबर को प्रसंज्ञान लेते हुए सीबीआइ कोर्ट की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था तथा इसके अलावा इन सभी गिरफ्तारी वारंट से तलब भी किया था। इन सभी ने सीबीआइ कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने सभी को आंशिक राहत मिली थी।