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Durga Puja 2022: राजस्थान के प्रतापगढ़ में एक अनोखा मंदिर, जहां देवी को चढ़ाई जाती है हथकड़ी और बेडियां

कई लोग दुखों से छुटकारा पाने किसी आरोपों में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं तो बेडियां और हथकड़ी चढ़ाने लगे और यह परम्परा बन गई। इस मंदिर के आंगन में 200 साल पुराना एक त्रिशुल गढ़ा हुआ है। इसी त्रिशुल पर ही लोग मन्नत मांगते हुए हथकड़ियां चढ़ाते हैं।

By Jagran NewsEdited By: PRITI JHAPublished: Sun, 02 Oct 2022 12:11 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 12:11 PM (IST)
Durga Puja 2022: राजस्थान के प्रतापगढ़ में एक अनोखा मंदिर, जहां देवी को चढ़ाई जाती है हथकड़ी और बेडियां
फोटो....... प्रतापगढ़ जिले की दीवाक माता। फाइल फोटो

उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में एक अनोखा मंदिर है, जहां जाने वाले भक्त सुहाग के सामान और भोग के साथ बेडियां और हथकड़ी चढ़ाते हैं। हम बात कर रहे हैं अरावली पर्वतमाला और घने जंगल के बीच 500 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बने दीवाक माता मंदिर की।

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इस मान्यता के पीछे एक रोचक कहानी

प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर जोलार गांव में इस मंदिर में आने वाले भक्त दीवाक माता को प्रसन्न करने के अलग-अलग जतन करते हैं। यहां प्रसाद के साथ सुहाग के सामान ही नहीं, बल्कि देवी मां को हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाई जाती हैं। मंदिर के प्रांगण में गड़े त्रिशूल में कई हथकड़ियां चढ़ी हैं, जो सालों पुरानी हैं।

इस मान्यता के पीछे एक रोचक कहानी है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में मालवा-मेवाड़ अंचल में डाकुओं का बोलबाला था। डाकू यहां मन्नत लेते थे कि अपना काम करते समय पुलिस के चंगुल से बच गए तो वे यहां हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाते थे।

एक जनश्रुति यह भी है कि रियासतकाल में डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता की मन्नत ली थी कि अगर वह जेल तोड़कर बाहर आया तो सीधे यहां दर्शन करने के लिए आएगा। बाद में वह जेल से भागकर सीधा इस मंदिर में अपनी मन्नत पूरी करने पहुंचा। कई भक्त जो किसी ना किसी आरोपों में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं, वह यहां आकर माता से मन्नत मांगते हैं और उनके पूरी होने पर बेडियां और हथकड़ी चढ़ाते हैं।

200 साल पुराना त्रिशुल पर लोग हथकड़ियां चढ़ाते

वहीं कई लोग अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए भी इसी तरह बेडियां और हथकड़ी चढ़ाने लगे और यह परम्परा बन गई। इस मंदिर के आंगन में 200 साल पुराना एक त्रिशुल गढ़ा हुआ है। इसी त्रिशुल पर ही लोग मन्नत मांगते हुए हथकड़ियां चढ़ाते हैं।

जंगल से नहीं काटे जाते पेड़

मंदिर के चारों ओर घना जंगल है। छोटी-बड़ी पहाड़ियों और ऊंची-नीची जगहों को पार कर पैदल ही यहां पहुंचा जा सकता है। मंदिर के प्रति श्रद्धा के चलते इस इलाके में कोई पेड़ नहीं काटा जाता है।


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