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Rajasthan: सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत के लिए केंद्र से 707 करोड़ की मांग

Drought In Rajasthan. जोधपुर बाड़मेर जैसलमेर एवं हनुमानगढ़ जिलों में 13 तहसीलों के एक हजार 388 गांव सूखाग्रस्त घोषित किए गए हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 12:41 PM (IST)
Rajasthan: सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत के लिए केंद्र से 707 करोड़ की मांग

जयपुर, ब्यूरो। Drought In Rajasthan. राजस्थान सरकार ने राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में आपदा राहत के लिए केंद्र से 707 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मांगी है। इसके साथ ही राजस्थान की विशेष रेगिस्तानी परिस्थितियों को देखते हुए आपदा राहत संबंधी नीति में बदलाव करने का भी अनुरोध किया। 3.90 हजार किसान प्रभावित राजस्थान में इस वर्ष वैसे तो काफी अच्छी वर्षा हुई है, लेकिन यहां के रेगिस्तानी क्षेत्र के कुछ जिलों जैसे जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर एवं हनुमानगढ़ जिलों में 13 तहसीलों के एक हजार 388 गांव सूखाग्रस्त घोषित किए गए हैं।

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यहां कम बारिश के चलते तीन लाख 90 हजार काश्तकारों की 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 33 फीसदी से ज्यादा फसल खराब हुई है। साथ ही, 12 लाख 66 हजार की आबादी एवं 14 लाख 47 हजार पशुधन प्रभावित हुआ है। इनकी मदद के लिए राज्य ने केंद्र सरकार को 707 करोड़ रुपये की मांग का प्रस्ताव भेजा है।

केंद्र के दल ने किया था भ्रमण

पिछले दिनों राजस्थान के इन सूखाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे के लिए केंद्र सरकार का एक दल राजस्थान आया भी था। इस दल के साथ हुई बैठक में सरकार के आपदा राहत मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने कहा था कि क्षेत्र के लोगों की सहायता के लिए यह राशि शीघ्र जारी किया जाना जरूरी है। मेघवाल ने दल को बताया कि इनके अलावा चूरू, नागौर एवं बीकानेर की नौ तहसीलों के 302 गांव भी कम बरसात की वजह से सूखे की चपेट में हैं, लेकिन यह आपदा राहत के मापदंड पूरे नहीं कर पा रहे हैं।

पशु पालकों के लिए जमीन की अनिवार्यता खत्म हो

दरअसल राजस्थान का अधिकतर हिस्सा रेगिस्तानी है जहां किसानों के पास जमीन काफी है, लेकिन ज्यादा उपजाऊ नहीं है। जमीन ज्यादा होने के कारण वह लघु एवं सीमांत किसानों की श्रेणी में नहीं आते हैं। यही कारण है कि उन्हें केंद्रीय आपदा राहत के तहत सहायता नहीं मिल पाती है। मंत्री मेघवाल ने कहा कि ऐसे जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए नीति में बदलाव करना चाहिए और सूखा प्रभावित क्षेत्र के पशुपालकों को सहायता के लिए भूमि जोत की अनिवार्यता समाप्त करें, क्योंकि कई भूमिहीन लोग पशु पालकर अपना जीवन-यापन करते हैं।

सीएम गहलोत ने दिए ये सुझाव

केंद्रीय दल के साथ बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि सूखे की स्थिति के गिरदावरी के आकलन को स्वीकार नहीं करने का नियम उचित नहीं है। उन्होंने दो हेक्टेयर तक की भूमि पर ही किसानों को कृषि आदान अनुदान दिए जाने को प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति के अनुकूल नहीं बताया था।

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