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पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने दिया साढ़े 56 किलो सोना सरकार का, पांचवी बार कोर्ट ने दिया फैसला

छोटीसादड़ी के व्यापारी भैरूलाल आंजना ने लाल बहादुर शास्त्री की सोलह दिसम्बर 1965 को प्रस्तावित छोटी सादड़ी की यात्रा के दौरान उन्हें सोने से तौलने की घोषणा की थी। आंजना परिवार ने शास्त्रीजी के वजन बराबर 57 किलो 863 ग्राम सोना उदयपुर के जिला कलेक्टर कार्यालय में सुरक्षित रखवाया था।

By PRITI JHAEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 01:38 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 01:38 PM (IST)
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने दिया साढ़े 56 किलो सोना सरकार का, पांचवी बार कोर्ट ने दिया फैसला
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने दिया था साढ़े 56 किलो सोना

उदयपुर, संवाद सूत्र। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने के लिए चित्तौड़गढ़ जिले के छोटी सादड़ी कस्बे के आंजना परिवार की ओर से 56 साल पहले दिया 56 किलो 860 ग्राम सोने पर उदयपुर की अदालत ने सरकार का हक माना है। इस मुद्दे पर पांचवीं बार अदालत का फैसला आया है।

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जिला एवं सत्र न्यायालय उदयपुर ने उदयपुर की जिला कलेक्टर के पास जमा सोने पर सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स विभाग का हक माना है। पिछले साल 5 अगस्त को उदयपुर की सीजेएम काेर्ट सोने की सुपुर्दगी को लेकर सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर के पक्ष में फैसला दे चुकी थी और इस फैसले के विरोध में आंजना परिवार के सदस्य गोवर्धनलाल आंजना ने सेशन कोर्ट में अपील की थी।

यह था मामला और अदालत के फैसले

छोटीसादड़ी के व्यापारी भैरूलाल आंजना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सोलह दिसम्बर 1965 को प्रस्तावित छोटी सादड़ी की यात्रा के दौरान उन्हें सोने से तौलने की घोषणा की थी। इसके लिए आंजना परिवार ने शास्त्रीजी के वजन के बराबर 57 किलो 863 ग्राम सोना उदयपुर के जिला कलेक्टर कार्यालय में सुरक्षित रखवाया था। वह छोटी सादड़ी आ पाते उससे पहले ही ताशकंद में प्रधानमंत्री शास्त्री का निधन हो गया। इसके बाद आंजना परिवार ने जिला कलेक्ट्रेट में प्रार्थना पेश कर वहां जमा कराया सोना वापस लौटाने की मांग की लेकिन यह सोना आंजना परिवार को नहीं मिल पाया। इसके बाद आंजना परिवार के सदस्य गणपतलाल, उनके बेटे गोवर्धन लाल आंजना और उनके परिवार के सदस्य पिछले 56 साल से इस सोने के लिए हक के लिए लड़ाई जारी रखे हुए थे।

पहला मामला 9 दिसंबर 1965 को अदालत में आया, जिसमें गुणवंतसिंह आंजना ने गणपतलाल और राज्य सरकार के खिलाफ सोने नहीं लौटाने को लेकर मामला दर्ज कराया। ग्यारह जनवरी 1975 को अदालत ने इस मामले में गणपत एवं हीरालाल काे दाेषी मान दाे साल की सजा सुनाई, जबकि सोना गोल्ड कंट्रोलर को सुपुर्द किए जाने के आदेश दिए थे। इसकी चुनौती गणपत और हीरालाल ने सेशन काेर्ट में दी। जिसमें 7 अगस्त 1978 काे सुनाए फैसले में दोनों को दोषमुक्त माना और सोना गोल्ड ऑफिसर काे ही देने के आदेश हुए। इस फैसले के खिलाफ आंजना परिवार के गुणवंत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और 14 सितंबर 2007 को हाईकोर्ट ने गणपत तथा हीरालाल की दोषमुक्ति का आदेश बहाल रखा, जबकि साेना सुपुर्दगी की अपील खारिज कर दी।

साल 2012 में एक बार फिर गोवर्धन आंजना ने हाईकोर्ट में रीट दायर की और कहा कि सोने पर हक जताया, जिसमें सुनवाई जारी है। इस बीच सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर ने उदयपुर के सीजेएम कोर्ट में 17 जुलाई 2020 को साेना सुपुर्दगी के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था और पांच अगस्त 2020 को फैसला उनके पक्ष में आया था।  


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