Rajasthan: अशोक गहलोत बोले, कृषि कानूनों को लेकर राष्ट्रपति और राज्यपाल दबाव में
Rajasthan अशोक गहलोत ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और राज्यपाल कलराज मिश्र दबाव में हैं। राज्य सरकार ने कृषि कानूनों को बायपास करने के लिए विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित कराए और राज्यपाल के पास भेजे लेकिन राजभवन में अटके हुए हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कृषि कानूनों को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और राज्यपाल कलराज मिश्र दबाव में हैं। राजस्थान सरकार ने केंद्रीय कृषि कानूनों को बायपास करने के लिए विधानसभा में तीन संशोधन विधेयक पारित कराए और राज्यपाल के पास भेजे, लेकिन तीन माह से राजभवन में अटके हुए हैं। गहलोत ने कहा कि राज्यपाल केंद्र सरकार के दबाव के कारण उन्हें राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेज रहे हैं। गहलोत ने कहा कि यदि राज्यपाल इन्हें राष्ट्रपति के पास भेज भी देते तो वे हस्ताक्षर नहीं करते। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति से कांग्रेस शासित चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मिलने का समय मांगा, लेकिन राष्ट्रपति ने उन्हे मिलने मिलने का समय नहीं दिया। इससे साफ होता है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल दबाव में हैं।
अशोक गहलोत ने भाजपा पर साधा निशाना
गहलोत ने कहा कि वर्तमान हालात में सीबीआइ, ईडी, आयकर विभाग और न्यायपालिका सभी दबाव में हैं। राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए गहलोत ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कभी गोमाता तो कभी हिंदुत्व के नाम पर सत्ता में आए, लेकिन इनके लिए कभी किया कुछ नहीं। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में पहली बार गोशाला निदेशालय बनाया, गोशालाओं को अनुदान देना शुरू किया। कोराना प्रबंधन को लेकर भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा करते हुए गहलोत ने कहा कि इसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कारण ऐसा हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जो मदद दी जानी चाहिए, वह नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वादे के अनुसार, भूमि विकास बैंक व सहकारी बैंकों के कर्ज किसानों के माफ कर दिए हैं। इससे विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा।
सदन में घिरे मंत्री
विधानसभा में सरकार के मंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब देने के दौरान घिरते नजर आए। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष की ओर से पूछे गए अलग-अलग सवालों पर गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और महिला व बाल विकास मंत्री ममता भूपेश संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। दरअसल, भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने प्रदेश में नंदी शालाओं की स्थापना के लिए आवंटित बजट के सिलसिले में सवाल पूछा था। उन्होंने जानना चाहा कि पिछले दो साल में गहलोत सरकार ने प्रदेश में कितनी नंदी शालाएं खोलीं, यदि खोली गईं तो इनमें कितने पशु हैं। इनके लिए कितने बजट का प्रावधान किया गया है। इसके जवाब में भाया ने कहा कि नंदीशालाओं की घोषणा पिछली भाजपा सरकार ने की थी, लेकिन इसमें कई तरह की कमी थी, जिनमें सुधार किया जा रहा है। इन्ही कारणों से नंदीशालाओं की स्थापना करने में समय लग रहा है। मंत्री के जवाब से विपक्ष के विधायक असंतुष्ट नजर आए।
इस तरह घिरी मंत्री
विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने मंत्री को सही जानकारी नहीं होने की बात कही। भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ द्वारा पूछे गए सवाल पर महिला व बाल विकास मंत्री ममता भूपेश घिर गई। राठौड़ ने इंदिरा गांधी महिला शोध संस्थान के बजट प्रावधान को लेकर सवाल पूछा था। भूपेश ने कहा कि अब तक इस पर 20 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। राठौड़ भूपेश द्वारा दिए गए जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और कहा कि मंत्री ने मेरे मूल सवाल का जवाब नहीं दिया। वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोक परिवहन बस सेवा बंद होने से जुड़े सवाल पर कटारिया ने खाचरियावास पर तल्ख अंदाज में टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को सवा दो साल हो गए आपमें गंभीरता कब आएगी। इससे पहले खाचरियावास ने जवाब में कहा था कि ग्रामीण लोक परिवहन सेवा शुरू करने पर सरकार गंभीर है, जल्द इसे शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा भाजपा सरकार के समय से लोक परिवहन सेवा बंद है। जिन मार्गों पर बसें नहीं है उनका सर्वे कराकर बसें चलाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए विधायकों को पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगे गए हैं। एक माह में लोक परिवहन सेवा की योजना मूर्त रूप ले लेगी।