Rajasthan: 'संगीत' ने नीमच के मोहन को जोधपुर की पूजा से मिलाया, उदयपुर में एक-दूजे के हुए 21 जोड़े
Rajasthan उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान नेकी ओर से आयोजित 37वें निशुल्क दिव्यांग सामूहिक विवाह सम्मेलन में मोहन और पूजा की नहीं बल्कि देश के चार राज्यों के 21 जोड़े एक-दूजे के हुए। सम्मेलन के मुख्य अतिथि मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ थे।
उदयपुर, संवाद सूत्र। सुरों के साधक नीमच के नेत्रहीन युवक मोहन ने जब राजस्थान के जोधपुर में आयोजित एक नेत्रहीन लोगों की संगीत प्रतियोगिता में पूजा के सुरों को सुना तो वह उसके माधुर्य का कायल हो गया। उसने पता लगाया कि पूजा उसके हमउम्र है तो उसने उससे शादी करने का निर्णय लिया, लेकिन गरीबी दोनों परिवारों के बीच आड़े आ रही थी। इनको मिलाने का अहम भूमिका निभाई उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान ने। उदयपुर में संस्थान की ओर से आयोजित 37वें निशुल्क दिव्यांग सामूहिक विवाह सम्मेलन में मोहन और पूजा की नहीं, बल्कि देश के चार राज्यों के 21 जोड़े एक-दूजे के हुए। इनमें नीमच का नेत्रहीन युवक मोहन भी था, जो काम करने के लिए दो वर्ष पहले जोधपुर गया था। वहां अंध विद्यालय की ओर से आयोजित नेत्रहीन लोगों की संगीत प्रतियोगिता में उसने भाग लिया। वहीं, जोधपुर की पूजा नामक युवती ने भी प्रस्तुति दी। वह पूजा के सुरों का सुनकर उसका कायल हो गया। उसने पता लगाया कि पूजा उसकी हम उम्र है तो उसने उससे शादी करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन गरीबी के चलते दोनों विवाह पर होने वाला खर्चा करने में असमर्थ थे। इस बीच, उन्हें पता चला कि उदयपुर में दिव्यांग जोड़ों का निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित होता है। इस पर दोनों ने यहां नारायण सेवा संस्थान से संपर्क किया और उनकी मुश्किल आसान हो गई। रविवार को दोनों का अन्य 20 जोड़ों के साथ धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ।
21 दिव्यांग जोड़ों ने जिंदगी की नई शुरुआत की
इस सामूहिक विवाह सम्मेलन के मुख्य अतिथि मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ थे। संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’, कमला देवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, वंदना अग्रवाल व दक्षिणी अफ्रीका से आए अतिथि संजय भाई दया, अमेरिका से आए सोहनलाल, एकता चढ्ढा के आतिथ्य में गणपति पूजन के बाद विवाह की पारंपरिक विधियां शुरू हुईं। संस्थान के बड़ी स्थित प्रांगण में 21 दिव्यांग जोड़ों ने जिंदगी की नई शुरुआत की है। ये जोड़े राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के हैं। विवाह समारोह के दौरान दूल्हा-दुल्हन की बिंदोली निकाली गई। जिसमें बैंड बाजों की धुन पर विभिन्न प्रांतों से आए अतिथियों ने जमकर ठुमके लगाए। बाद में सभी दूल्हों ने क्रम से तोरण की रस्म अदा की। इसके बाद हाइड्रोलिक स्टेज पर गुलाब पंखुड़ियों की बौछार के बीच नव युगलों ने परस्पर वरमाला पहनाई। इसके पश्चात 21 वेदी-कुंडों पर उपस्थित आचार्यों ने वैदिक विधि से पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया। विदाई की वेला में दुल्हनें डोली में बैठकर साजन के घर जाने के लिए संस्थान परिसर से बाहर आईं, जहां दूल्हे व उनके परिवार तथा अन्य अतिथि मौजूद थे। इससे पहले 36 विवाहों में 2130 दिव्यांग जोड़े अपना घर-संसार बसा चुके हैं।