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Rajasthan Government: राजस्थान की पिछली सरकार के निर्णयों की अब मंत्री करेंगे समीक्षा

Rajasthan Government. राजस्थान में पिछली सरकार के कार्यकाल के अंतिम छह माह में किए गए निर्णयों की समीक्षा करना परंपरा बन गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 06:52 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 08:03 PM (IST)
Rajasthan Government: राजस्थान की पिछली सरकार के निर्णयों की अब मंत्री करेंगे समीक्षा
Rajasthan Government: राजस्थान की पिछली सरकार के निर्णयों की अब मंत्री करेंगे समीक्षा

राज्य ब्यूरो, जयपुर। Rajasthan Government. राजस्थान की मौजूदा सरकार ने अपने मंत्रियों को पिछली सरकार के अंतिम छह माह के कार्यकाल में किए गए फैसलों की समीक्षा कर कार्रवाई करने का काम सौंपा है। हालांकि, कार्रवाई करने से पहले उन्हें मुख्यमंत्री से मंजूरी लेनी होगी। इस बारे में हाल में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने आदेश जारी किया है। इससे पहले तीन मंत्रियों की समिति को यह जिम्मा सौंपा गया था, जिसने पांच फरवरी को फौरी तरीके से काम निपटा लिया। इसलिए अब मंत्रियों को जिम्मा सौंपा गया है।

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राजस्थान में 1998 से हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन हो रहा है। ऐसे में पिछली सरकार के कार्यकाल के अंतिम छह माह में किए गए निर्णयों की समीक्षा करना यहां परंपरा बन गया है। मौजूदा सरकार ने भी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए सरकार के गठन के बाद स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में तीन वरिष्ठ मंत्रियों की समिति बना कर समीक्षा करने और यदि कोई गलत फैसले हुए हैं तो उन्हें निरस्त करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। समिति ने अपना काम इस वर्ष पांच फरवरी को पूरा कर लिया था।

14 विभागों ने नहीं भेजी सूचना

हालांकि, जिस ढंग से अचानक समिति का काम खत्म होने की बात कही गई थी, उससे कई सवाल भी उठे थे, क्योंकि 14 विभागों ने तो समिति को उनके यहां हुए फैसलों की सूचना ही नहीं भेजी थी। वहीं 12 विभाग ऐसे रहे, जिनके फैसले तो आ गए, लेकिन समिति उन्हें देख ही नहीं पाई। यानी आनन-फानन में समिति का काम समाप्त कर दिया गया।

मात्र आठ फैसले गलत माने

समिति के समक्ष कुल 1067 प्रकरण रखे गए और इसने सिर्फ आठ फैसलों को गलत मानते हुए निरस्त किया। वहीं, छह प्रकरणों में दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए लिखा गया। समिति ने अपनी अंतिम बैठक में यह फैसला किया कि अब यह काम विभागीय मंत्रियों के स्तर पर ही किया जाएगा। अब सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है जो मामले समिति के समक्ष रखे गए, लेकिन जिन पर फैसला नहीं हुआ और जो मामले समिति के समक्ष रखे ही नहीं गए, उन सभी पर विभागीय मंत्री अपने स्तर पर फैसला करेंगे। इन मामलों में यदि कोई कार्रवाई करनी होगी तो उसके लिए पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अनुमति लेनी होगी।

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