Rajasthan: जयपुर एयरपोर्ट को स्वच्छता को लेकर मिला अवार्ड
Jaipur Airport. स्वच्छता के मामले में जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इसमें ए केटेगरी में अवार्ड मिला है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Jaipur Airport. राजस्थान में जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को स्वच्छता के मामले में अवार्ड मिला है। स्वच्छता के मामले में जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इसमें 'ए' केटेगरी में अवार्ड मिला है। पांच लाख पैसैंजर के ट्रैफिक श्रेणी में जयपुर एयरपोर्ट ने यह सम्मान हासिल किया है।
दो दिन पूर्व हैदराबाद में आयोजित हुए समारोह में जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के डायरेक्टर जेएस बलहारा को ये सम्मान केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने प्रदान किया। पिछले तीन साल में देशभर के एयरपोर्ट्स को लेकर कई तरह के सर्वे हुए, लेकिन कभी नंबर एक पर रहा जयपुर एयरपोर्ट इस अवधि में लगातार पिछड़ता चला गया। स्थिति यहां तक पहुंच गई की जयपुर एयरपोर्ट प्रथम तीन में भी अपनी जगह नहीं बना पा रहा था, लेकिन इन सबके बीच जयपुर एयरपोर्ट ने प्रधानमंत्री की 'स्वच्छ भारत' मुहिम को नहीं छोड़ा और लगातार स्वच्छता पर ध्यान दिया।
यही कारण रहा कि जब पांच लाख प्रतिदिन यात्रियों के आवागमन श्रेणी में देशभर के एयरपोर्ट्स का सर्वे किया गया तो जयपुर ने 'ए' केटेगरी में बाजी मार ली। स्वच्छता अवार्ड मिलने से जयपुर एयरपोर्ट को प्राण वायु मिली है।
ग्रामीण स्वच्छता की चुनौतियां अभी भी कम नहीं
ग्रामीण स्वच्छता के पहले चरण में सफलता मिलने के बाद भी इस क्षेत्र की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं, जिससे निपटने के लिए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दूसरे चरण की शुरुआत की है। इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजटीय प्रावधान किया गया है। इस दौरान ग्रामीण स्वच्छता मिशन में कचरा प्रबंधन पर पूरा जोर दिया जाएगा। स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण की जल्दबाजी में जो गलतियां हुई, उसकी खामियां अब उभरने लगी हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने में स्वच्छता के दूसरे चरण में मुश्किलें पेश आएंगी। इसके लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी। शौचालयों के उपयोग और उसके निर्माण के बाद आने वाली समस्याएं सामने आ रही हैं। इनमें निर्माण संबंधी दिक्कतों में सेप्टिक टैंक, सिंगल गड्डे, घटिया निर्माण और इसमें लगाई गई घटिया सामग्री से पैदा होने वाली मुश्किलें पेश आ रही हैं।
कांस्ट्रक्शन संबंधी मुश्किलों के बाद तकनीकी दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। इनमें गड्डे पांच फीट से अधिक होने पर सीधे भूजल में मिल जाने और कई जगहों पर गड्डे की सतह को पक्का करने से भी कठिनाई पेश आई है। इसके अलावा व्यवहारगत मुश्किलें हैं, जिनमें परंपरागत और पुरानी सोच के लोग शौचालय प्रयोग को अभी भी अच्छा न मानते हुए उसे हतोत्सााहित कर रहे हैं। कहीं-कहीं तो यह भी माना जा रहा है कि शौचालय सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। वहीं कुछ मानते हैं कि बड़े, बूढ़ों और दिव्यांग जन को कठिनाई से बचाने के लिए शौचालय बनाये गये हैं। एक और धारणा इसकी चुनौतियों को गंभीर बना रही है कि इसके गड्डे जल्दी भर जाएंगे, जिससे घर में दुर्गध फैल जाएगी। इससे गंभीर बीमारियां फैलेंगी। इन धारणाओं को तोड़ने की दिशा में कड़ी मेहनत करनी होगी। स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने में नये सिरे से सरकार को प्रयास करने की जरूरत है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के सहारे महिलाओं को 'सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान' का आभास दिलाने का नारा दिया गया है। गांवों की सफाई से निकलने वाले कूड़ा व कचरा के प्रबंधन की दिशा में फिलहाल कुछ नहीं किया गया है, जिसके लिए इस दूसरे चरण में विशेष बंदोबस्त किया गया है। माना जा रहा है कि इससे गांव के लोगों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार होगा। मंत्रालय का दावा है कि स्वच्छ भारत मिशन-2014 की सफलता की कहानी देश के ग्रामीण क्षेत्रों में निर्मित 10 करोड़ घरों में बनाये गये शौचालय हैं। पहले चरण में ही देश के 5.9 लाख गांव, 699 जिले और 35 राज्यों ने खुद को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर लिया है।
दूसरे चरण की लांचिंग के मौके पर जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने इसे महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अहम बताया। उन्होंने एक स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि 93 फीसद महिलाओं ने माना कि शौचालय बन जाने से अब उनका भय समाप्त हो गया। 88 फीसद महिलाओं ने इसे स्वाभिमान से जोड़कर देखा। जबकि 91 फीसद महिलाओं ने माना कि उनका रोजाना एक घंटे समय बचता है, जो पहले शौच के लिए बाहर जाने-आने में जाया होता था।