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राजस्थान में अनचाहे फोन कॉल्स और मैसेज से परेशान छात्रा ने की आत्महत्या

Girl student. राजस्थान में अनचाहे फोन कॉल्स और मैसेज से परेशान होकर एख छात्रा ने आत्महत्या कर ली। पुलिल मामले की जांच कर रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 01:14 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 01:14 PM (IST)
राजस्थान में अनचाहे फोन कॉल्स और मैसेज से परेशान छात्रा ने की आत्महत्या

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान के श्रीगंगानगर में अनचाहे फोन कॉल्स और मैसेज से परेशान हो कर एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। पुलिस मामले की जांच-पड़ताल कर रही है।

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बताया जा रहा है कि छात्रा को कुछ लोग फोन पर अनचाहे काॅल्स कर परेशान कर रहे थे। पूजा नाम की यह छात्रा चहल चैक इलाके में किराए के कमरे में रह कर बीएससी की पढ़ाई कर रही थी। छात्रा श्रीगंगानगर जिले के ही करणपुर की रहने वाली थी।

उसके भाई ने पुलिस में इस बारेे में दर्ज रिपोर्ट में कहा है कि उसने अनचाहे फोन कॉल्स और मैसेज से परेशान हो कर फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की है। पुलिस ने मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

कोटा में छात्रा ने दी जान

देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में सोमवार देर शाम एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने वाली छात्रा श्वेता बिहार के मधुबनी की रहने वाली थी। वह कोटा के महावीर नगर में किराये का कमरा लेकर अपनी मां के साथ रह रही थी। श्वेता मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी। सोमवार शाम उसकी मां सीता देवी बाजार गई तो उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मां वापस आई तो श्वेता पंखे से फंदा लगाकर लटकी हुई मिली। इस पर मां के रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग आए और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को नीचे उतारकर अस्पताल पहुंचाया। मंगलवार को पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया।

श्वेता की मां ने बताया कि उसे किसी प्रकार की तनाव नहीं था। उसने आत्महत्या क्यों की फिलहाल पुलिस इसकी जांच में जुटी है। कोटा में पिछले आठ माह में 17 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की है। यहां को¨चग स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार के स्तर पर काफी प्रयास किए गए हैं। तत्कालीन राज्यपाल कल्याण ¨सह और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्देश पर कोटा जिला कलेक्टर एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने को¨चग संस्थानों के प्रबंधकों एवं अभिभावकों की बैठक लेकर बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करने और मानसिक दबाव नहीं डालने को लेकर चर्चा की थी।

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