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Prostate cancer बढती उम्र में जागरूकता के अभाव में बढ रही है प्रोस्टेट की बीमारी

Prostate disease प्रोस्टेट की बीमारियां बढ़ती उम्र में आम हो जाती हैं और मृत्यु का कारण बनती हैं।प्रोस्टेट के बढऩे से ‘लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट’ के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 11:33 AM (IST)
Prostate cancer बढती उम्र में जागरूकता के अभाव में बढ रही है प्रोस्टेट की बीमारी

जोधपुर, रंजन दवे। प्रोस्टेट की बीमारियां बढ़ती उम्र में आम हो जाती हैं और मृत्यु का कारण बनती हैं। ज्यादातर लोग प्रोस्टेट की समस्या को वर्तमान परिस्थितियों से जोड़ते हैं, कुछ उम्र, मौसम परिवर्तन, यात्रा संबंधी तनाव, अलग-अलग जगह के पानी आदि को दोष देते हैं। लेकिन शिथिल जीवनशैली के कारण उम्र वाली बात की महत्वपूर्णता कम हो गई है। प्रोस्टेट के बढऩे से ‘लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट’ के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है।

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जोधपुर एम्स में प्रोस्टेट पर केंद्रित पूरे महीने के बारे में सह आचार्य डॉ गौतम चौधरी ने बताया कि एक उम्र के बाद इस रोग के मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता का कारण है, जिसकी मुख्य वहज लोगों में जागरूकता की कमी है। उनके व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वो बहुत ज्यादा दूर नहीं जाते और सदैव बाथरूम के आसपास रहते हैं। जो लोग इस समस्या का इलाज नहीं करा रहे, उनके लिए यह बात पूरी तरह सच है।

एम्स के ही सह आचर्य डॉ. हिमाशुं पाण्डेय के अनुसार ऊंची दर के बावजूद मरीजों को इस बीमारी की जानकारी नहीं होती क्योंकि वो इसे बढ़ती उम्र का हिस्सा मानते हैं, जिसे मरीज पर केंद्रित जागरुकता अभियान द्वारा ठीक किया जा सकता है। बार-बार बाथरूम की आवश्यकता पड़ने पर लोगों को इस बीमारी का अहसास होता है।अधिकांश मामलों में इसी तरह शुरुआत हुई, जो प्रथम लक्षण के रूप में देखे जा सकते हैं।

बीपीएच का निदान विविध विधियों के मिश्रण द्वारा होता है, जिसमें मरीज का इतिहास, आईपीएसएस स्कोरकार्ड, अल्ट्रासाउंड एवं पीएसए टेस्ट शामिल हैं। बीपीएच का निदान शारीरिक, रेडियोग्राफिक जांच एवं कुछ लैब टेस्ट द्वारा किया जाता है। शारीरिक परीक्षण में डीआरई (डिजिटल रेक्टल परीक्षण) शामिल है।

बीपीएच के लक्षणों की माप आईपीएसएस (इंटरनेशनल प्रोस्टेट सिंपटम स्कोर) द्वारा की जाती है। दवाई देने के बाद भी लक्षण अनियंत्रित रहते हैं, तो सर्जरी द्वारा प्रोस्टेटिक टिश्यू को निकालना अंतिम विकल्प होता है। चिकित्सको के अनुसार बीपीएच के लक्षणों को तब तक नजरअंदाज किया जाता है, जब तक वो गंभीर नहीं हो जाते। प्रोस्टेट में ऐसा करना हानिकारक है, जो नहीं होना चाहिए। 


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