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गहलोत सरकार ने कहा- सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले नेताओं को प्रतिदिन देना होगा 10 हजार जुर्माना

गहलोत सरकार ने सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले पूर्व मंत्रियों पर शिकंजा कसा। अब सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले पूर्व मंत्रियों को 10 हजार प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 01:40 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 02:58 PM (IST)
गहलोत सरकार ने कहा- सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले नेताओं को प्रतिदिन देना होगा 10 हजार जुर्माना
गहलोत सरकार ने कहा- सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले नेताओं को प्रतिदिन देना होगा 10 हजार जुर्माना

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले पूर्व मंत्रियों पर शिकंजा कसा है। अब सरकारी आवास खाली नहीं करने वाले पूर्व मंत्रियों को 10 हजार प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस निर्णय को लागू कर दिया गया है। पूर्व में यह 5 हजार रुपये प्रतिमाह किराया था, लेकिन अब सरकारी आवास खाली नहीं करने पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। कई सालों से सरकारी आवासों पर कब्जा करके बैठे नेताओं पर सरकार के इस निर्णय का असर हो सकता है।

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राज्य में फिलहाल दो भाजपा नेताओं सांसद किरोड़ीलाल मीणा और पूर्व मंत्री नरपत सिंह ने मंत्री पद से हटने के बाद सरकारी आवास खाली नहीं किए है। कई सालों से दोनों नेताओं ने सरकारी बंगलों पर कब्जा जमा रखा है। सांसद किरोड़ीलाल मीणा को सांसद के कोटे से दिल्ली के लोदी रोड पर सरकारी आवास मिला हुआ है। किरोड़ीलाल मीणा अब विधायक नहीं है। ऐसे में किरोड़ीलाल मीणा को या तो सरकारी आवास को खाली करना होगा या फिर प्रतिदिन 10 हजार रुपये बतौर किराए के देने होंगे।

वहीं नरपत सिंह राजवी विधायक है, लेकिन उन्होंने पूर्व में मंत्री रहते हुए मिले आवास को अभी तक खाली नहीं किया है। अब अगर वे भी इस बंगले को रखते है तो प्रतिदिन 10 हजार देने होंगे। नियमानुसार मंत्री पद से हटने के बाद 2 माह के भीतर आवंटित आवास को खाली करना होता है। डॉ. किरोड़ी सिंह मीणा और नरपत सिंह राजावत पूर्व में 2003-2008 तक रही भाजपा सरकार में मंत्री थे।

अब कुलपति हटाए जा सकेंगे

राज्य में सरकारी विश्वविघालयों के कुलपतियों को हटाने का निर्णय भी लिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के अधीन विवि.के कुलपति को हटाने के विधेयक को गहलोत कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। सरकार अब यूजीसी के नियमों के तहत नया कानून बनाने जा रही है। इसके तहत सरकार कुलपति को हटाने की सिफारिश कर सकेगी,जबकि कुलाधिपति(राज्यपाल) इस पर निर्णय करेंगे। किसी कुलपति के खिलाफ गड़बड़ी की शिकायत मिलेगी तो सरकार जांच को लेकर भी कुलाधिपति से सिफारिश कर सकेगी। अब तक सरकार किसी भी कुलपति को हटाने के लिए अधिकृत नहीं थी। 


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