बाल संरक्षण आयोग के आदेश धरे रह गए,13 वर्षीय निखिल बना उन्मयन महाराज, 11वर्षीया समता बनी संयमसुंदरी
बाल संरक्षण आयोग के आदेश धरे रह गए, पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में हुई बच्चों की दीक्षा 13 वर्षीय निखिल बना उन्मयन महाराज, 11वर्षीया समता बनी संयमसुंदरी
उदयपुर, सुभाष शर्मा। राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की रोक के बाबजूद उदयपुर में सूरत के जैन बालकों की दीक्षा पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में शुुुक्रवार सुबह हो गई। पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की, बल्कि तमाशबीन बने रहे।
यहांं आचार्य नानेश भवन में श्री साधुवादी जैन समाज की ओर से आयोजित कार्यक्रम में समाज के छह सदस्यों ने संन्यास ग्रहण कर लिया। इनमें सूरत का करोड़पति कपड़ा कारोबारी मालू परिवार के सभी चार सदस्य भी शामिल थे। जिनमें दो सदस्य नाबालिग हैं। 11 वर्षीया समता कुमारी दीक्षा के बाद संयम सुंदरी और 13 वर्षीय निखिल उन्मयन महाराज बन गए। जबकि उनके पिता निर्मल मालू मिराज मया गंगा महाराज और माता चंदन को मृणाल गंगा नाम दिया । इससे पहले उनके केश लोचन का कार्यक्रम हुआ। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी तमाशबीन बने रहे।
इस तरह आठ फरवरी को श्री साधुमार्गी जैन संघ के तत्वावधान में उदयपुर के श्री आचार्य नानेश भवन में जैन आचार्य रामलाल सूरत के करोड़पति कपड़ा कारोबारी मालू परिवार के सभी चार सदस्य निर्मल मालू, उनकी पत्नी
चंदन देवी, तेरह वर्षीय बेटा निखिल तथा 11 वर्षीया बेटी समता के अलावा महाराष्ट़ की सपना लोढ़ा और उदयपुर जिले की निकिता कोटडिय़ा को दीक्षा दिला दी गई। दीक्षा कार्यक्रम की शुरुआत संघ ने छह फरवरी से चौबीसी और मंगल गीत से कर दी थी।
गुरुवार दोपहर आचार्य नानेश भवन से दीक्षार्थियों का वरघोड़ा निकाला गया तथा उनका सम्मान किया गया। जिसमें संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयचंदलाल डागा, उमरावसिंह ओस्तवाल सहित संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं अन्य समाजजनों ने भाग लिया।