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Corona Vaccination: राजस्थान में कोटा के दो गांवों में सौ फीसदा टीकाकरण

Corona Vaccination राजस्थान में कोटा जिले में भोपालगंज और शहनावाली गांव के सभी पात्र 560 लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया। इनमें से 410 को दोनों टीके लग चुके हैं। चिकित्सा विभाग का दावा है कि इन दोनों गांवों में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों ने वैक्सीन लगवाई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 09:01 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 09:01 PM (IST)
Corona Vaccination: राजस्थान में कोटा के दो गांवों में सौ फीसदा टीकाकरण
राजस्थान में कोटा के दो गांवों में सौ फीसदा टीकाकरण। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में कोटा जिले के दो गांवों के लोगों ने कोरोना महामारी से बचाव के लिए शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन करवाकर रिकार्ड बनाया है। कोटा जिले भोपालगंज और शहनावाली गांव के सभी पात्र 560 लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया है। इनमें से 410 को दोनों टीके लग चुके हैं। चिकित्सा विभाग का दावा है कि इन दोनों गांवों में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों ने वैक्सीन लगवाई है। ग्रामीणों ने गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं बल्कि करीब पांच किलोमीटर दूर तलाव पंचायत समिति मुख्यालय पर जाकर वैक्सीन लगवाई है। ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डा. यादवेंद्र शर्मा ने बताया कि यह दोनों गांव इटावा ब्लॉक में शामिल है। इटावा ब्लॉक में 60 साल से अधिक उम्र के 91 फीसद, 45 साल से अधिक उम्र के 94 और 18 साल से अधिक उम्र के 29 फीसद लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। उन्होंने बताया कि कोटा जिले में तय श्रेणी के नौ लाख 13 हजार 935 लोगों को पहली और तीन लाख 34 हजार 455 को दोनों डोज लगाई जा चुकी है। 

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गौरतलब हैकि कोरोना महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माने जा रहे डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी वैक्सीन कारगर हैं। अमेरिका में किए गए एक नवीनतम शोध में यह जानकारी सामने आई है। अध्ययन के मुताबिक, वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर में जो एंटीबाडी बनती है उससे बच निकलने में डेल्टा वैरिएंट भी सक्षम नहीं है। इम्युनिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट से पता चलता है कि क्यों डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आने से टीका लगवाने वाले लोग बच गए। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने फाइजर की कोविड वैक्सीन से लोगों के शरीर में पैदा होने वाली एंटीबाडी पर अध्ययन किया। इसमें पाया गया है कि वैक्सीन से पैदा होने वाली एंटीबाडीज में से एक को छोड़कर किसी भी अन्य को डेल्टा वैरिएंट चकमा देने में सक्षम नहीं हो पाया। बीटा कई एंटीबाडी को चकमा देने में कामयाब रहा। इससे पहले के अध्ययनों में वाशिंगटन यूनिविर्सिटी में प्रोफेसर अली एलबेडी ने पाया था कि संक्रमण के बाद स्वाभाविक रूप से पैदा होने वाली एंटीबाडी और टीके से पैदा होने वाली एंटीबाडी दोनों ही ज्यादा समय तक बनी रहती है।


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