बाबा की अनोखी सेवा ने दिखाई नई राह, बताया- यहां और ऐसे मिलेंगे ईश्वर
सिखों की आस्था के केंद्र खडूर साहिब में सेवा संप्रदाय प्रमुख बाबा सेवा सिंह ने पौधे लगाने को ईश्वर सेवा मानते हैं। वह 20 सालों से पंजाब सहित कई राज्यों में पाैध सेवा कर रहे हैं।
खडूर साहिब, [धर्मबीर सिंह मल्हार]। सेवा क्या होती है और कैसे की जा सकती है, यह समझना हो तो 58 वर्षीय संत बाबा सेवा सिंह खडूर साहिब वाले से बेहतर व्यक्ति भला कौन होगा? इन्होंने बीस साल पहले पौध सेवा का व्रत लिया और आज पंजाब ही नहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जाकर लगभग 450 वर्ग किलोमीटर के दायरे में चार लाख पौधे लगा चुके हैैं, जो फल और छांव दे रहे हैैं। बाबा ने अपनी अनोखी सेवा से लोगों को दिखाई और लोगों को बताया कि ईश्वर को प्राप्त करना है तो पौध सेवा करो।
बाबा सेवा सिंह 20 साल से कर रहे हैं पौध सेवा, लोगों को दिखा रहे हैं हरियाली की राह
पंजाब में तरनतारन से 12 किलोमीटर दूर स्थित खडूर साहिब का सिख पंथ में अहम स्थान है। इसी के नजदीक गांव बाणिया में मध्यवर्गीय किसान के घर पैदा हुए सेवा सिंह आठ साल की उम्र में इस गुरुद्वारे में जाने लगे। उनके बाल मन पर वहां की सेवा का इतना गहरा असर पड़ा कि बारह वर्ष की उम्र में घर त्याग दिया और गुरुद्वारे के होकर रह गए। वहां पत्तल सेवा की जिम्मेदारी संभाली और बाद में कार सेवा संप्रदाय प्रमुख बने।
पद्मश्री बाबा सेवा सिंह ने पंजाब, महाराष्ट्र कई राज्यों में लगाए पौधे
उन्होंंने विवाह नहीं किया है। 20 साल पहले वर्ष 1999 में श्री आनंदपुर साहिब का 400 साला शताब्दी समारोह मनाया जा रहा था। सेवा सिंह ने खडूर साहिब में पर्यावरण को बचाने का प्रस्ताव पास किया और पौधे लगाने की सेवा शुरू कर दी। इसके लिए वर्ष 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
फसली चक्र से निकालने लिए खडूर साहिब में मॉडल बाग तैयार किया
उन्होंने खडूर साहिब की जमीन पर नर्सरी बनाई और पौधे लगाना शुरू किया। खडूर साहिब से तरनतारन, गोइंदवाल साहिब, जंडियाला गुरु, रइया, खलचिया, ब्यास व अमृतसर जाती 128 किलोमीटर लंबी इन सातों सड़कों पर सेवा सिंह ने 25 हजार से अधिक पौधे लगाए। आम तौर पर 30 फीसद पौधे खराब हो जाते हैं। बाबा बताते हैैं कि शुरुआत में पौधों को पशुओं से बचाने के लिए ट्री गार्ड लगाने पड़ते थे। इस पर पैसा लगता था। लिहाजा पौधों को नर्सरी में ही 5-5 फीट बढ़ाकर लगाना शुरू किया।
परिणाम रहा कि पौधों की बचाव दर 70 से बढ़कर 95 फीसद हो गई। राजस्थान में नई समस्या आई। लंबे होने की वजह से ऊंट पांच फुट लंबे पौधों को खा जाते थे। वहां पौधों को 20 फुट तक लंबा करके लगाना शुरू किया। दक्षिण भारत पहुंचे तो जमीन पथरीली थी। नया तरीका अपनाया। पहले गड्ढा बनाकर उसमें मिट्टी भरी जाती थी। उसके बाद पौधे लगाते।
नए पौधों की संभाल के सिए रखे हैं सेवादार
पौधों के रखरखाव के लिए 20 किमी के घेरे में वेतन पर सेवादार रखा, जो समय-समय पर पानी देते हैैं। इनके पास खुरपी और एक बाल्टी हमेशा होती है। पानी के टैैंकर और ट्रक अलग तौर पर रखे। वह कभी किसी को लगाने के लिए पौधे नहीं देते। इच्छुक लोगों से पूछ लेते हैं कि कितने पौधे लगाने हैं और वहां जाकर स्वयं लगवाते हैं। पौधे ले जाने के लिए दो ट्रक हैं। उन्होंंने किसानों को फसली चक्र से निकालने लिए खडूर साहिब में मॉडल बाग तैयार किया है। इसमें आम, अमरूद, लीची, नाशपाती, आड़ू, चीकू, जामुन से लेकर लौंग, इलायची, धूप बनाने में प्रयोग होने वाली गूग्गल के पौधे लगा रखे हैं।
550वें प्रकाश पर्व पर 550 वन लगाने का लक्ष्य
बाबा सेवा सिंह ने श्री गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर 550 वन लगाने का लक्ष्य रखा है। वह कहते हैं कि पंचायती जमीनों, गुरुद्वारा साहिबों की जमीनों, श्मशानघाटों के आसपास और अन्य स्थानों पर जंगल लगाकर जीव जंतुओं का ठिकाना बनाया जाएगा। गुरुबाणी के मुताबिक जीव-जंतुओं की रक्षा करना मनुष्य का ही फर्ज है। वन लगाकर हम ऐसा कर सकते हैं। 10 मरले जमीन में 550 पौधे लगाना बहुत आसान है। इससे भूजल स्तर का गिरना रोका जा सकता है।