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विधानसभा में गूंजा 16 वर्ष से बंद पड़ी चीनी मिल का मुद्दा

वर्ष 2006 में गांव शेरों स्थित चीनी मिल को आर्थिक तंगी के चलते बंद कर दिया गया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 06:27 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 07:00 AM (IST)
विधानसभा में गूंजा 16 वर्ष से बंद पड़ी चीनी मिल का मुद्दा

जासं, तरनतारन : वर्ष 2006 में गांव शेरों स्थित चीनी मिल को आर्थिक तंगी के चलते बंद कर दिया गया था। इस मिल को शुरू करने के लिए पहले 2017 और फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में नेताओं ने मुद्दा बनाया। अब 16 वर्ष बाद मिल को चालू करने के लिए विधानसभा में मामला गूंजा।

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खेमकरण के विधायक सरवण सिंह धुन्न ने विधानसभा के बजट इजलास के दौरान राज्य सरकार को सवाल करते हुए कहा कि जिला तरनतारन और अमृतसर से संबंधित आठ विधायक पूरी तरह से एकमत होकर चीनी मिल को चालू करवाने के पक्ष में हैं। विधायक सरवण सिंह धुन्न ने कहा कि तरनतारन क्षेत्र में 800 फुट पर जमीन का पानी पहुंच चुका है। गिर रहा भूजल स्तर जहां पूरे प्रदेश के लिए चिता का विषय है, वहीं पंजाब के किसानों को फसली चक्कर से निकालने के लिए गन्ने की काश्त लाभदायक साबित हो सकती है। धुन्न ने कहा कि चीनी मिल यदि शुरू होती है तो इलाके के किसान फसली चक्कर से बाहर आ सकते हैं।

ऐसे हुई चीनी मिल बंद

10 नवंबर, 1987 को प्रदेश के वित्त सचिव डा. मनोहर सिंह गिल (पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री) ने मिल का उद्घाटन किया था। 110 एकड़ रकबे में फैली चीनी मिल में 500 कर्मी काम करते थे। वर्ष 2006 में चीनी मिलों पर जब आर्थिक संकट मंडराया तो उस समय शेरों चीनी मिल पर 25 करोड़ का घाटा था, जबकि अजनाला की चीनी मिल 100 करोड़ के घाटे में होने के बावजूद बंद नहीं की गई। गांव शेरों की चीनी मिल को 2006 में बंद करने के पांच वर्ष बाद चीनी मिल के कर्मियों को सरकारी लाभ देकर घर भेज दिया गया था। 2015 में राज्य की शिअद-भाजपा गठबंधन की पूर्व सरकार ने यहां पर फूड प्रोसेसिग यूनिट लगवाने को कैबिनेट में स्वीकृति दी थी, परंतु यह वादा भी पूरा नहीं हो पाया था।

दैनिक जागरण समय-समय पर उठाता रहा है चीनी मिल का मुद्दा

गांव शेरों की बंद पड़ी चीनी मिल का मामला दैनिक जागरण की ओर से समय-समय पर उठाया जाता रहा है। वर्ष 2017 में कांग्रेस की सरकार के समय जिले से जब सभी विधायक सत्तारूढ़ पार्टी (कांग्रेस) के थे तो दैनिक जागरण द्वारा मामले को उठाया गया, परंतु सरकार ने उस समय मिल की ओर ध्यान नहीं दिया गया। अप्रैल के अंत में स्थानीय विधायक कश्मीर सिंह सोहल ने सहकारिता मंत्री हरपाल सिंह चीमा से बैठक करके चीनी मिल का मामला उठाया था।


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