Road Safety: हाईवे पर सड़क किनारे खड़े होने वाले ट्रक चालकों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई: एडीसी
Punjab Road Safety दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे सड़क सुरक्षा महाअभियान के तहत जो जागरूकता लोगों में लाई जा रही है उसी से प्रशासन से संबंधित अधिकारियों और कर्मियों को भी सीखने का अवसर मिल रहा है।
तरनतारन सीमावर्ती जिला है। यहां प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय हरिके पत्तन बर्ड सेंक्चुअरी देखने और तरनतारन, गोइंदवाल साहिब, खडूर साहिब, डेरा साहिब में धार्मिक स्थानों के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं। उनको और शहरवासियों को सड़क पर सफर करते समय कोई परेशानी न आए, इसके लिए जिला प्रशासन लगातार काम कर रहा है। इस दौरान जो भी कमियां सामने आती हैं, उनको दूर अवश्य किया जा रहा है।
दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे सड़क सुरक्षा महाअभियान के तहत जो जागरूकता लोगों में लाई जा रही है, उसी से प्रशासन से संबंधित अधिकारियों और कर्मियों को भी सीखने का अवसर मिल रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग व स्थानीय सड़क पर हादसा न हो, इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से विभिन्न संबंधित विभागों को साथ लेकर व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।
आने वाले दिनों में धुंध पड़ेगी। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वह अपने वाहनों पर रिफ्लेक्टर जरूर लगाएं। साथ ही ओवरटेक करने से बचें। इसके अलावा गति पर नियंत्रण रखें ताकि हादसे ना हो। हाईवे पर खड़े होने वाले ट्रक चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए संबंधित अधिकारियों के साथ जल्द ही बैठक करेंगे। ये बातें दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में तरनतारन के एडीसी (जनरल) जगविंदरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहीं। पेश है धर्मबीर सिंह मल्हार से बातचीत के अंश।
प्रश्न : जिले में कितने ब्लैक स्पाट की पहचान की गई है। यहां हादसे रोकने के लिए जिला प्रशासन क्या कार्रवाई कर रहा है?
उत्तर : तरनतारन जिले में राष्ट्रीय, राज्य व लिंक सड़कों पर कुल 38 ब्लैक स्पाट हैं। यहां पर अकसर हादसों का खतरा रहता है। ऐसे ब्लैक स्पाटों पर जागरूकता बाबत बोर्ड लगाने, वाहनों की गति कंट्रोल करने समेत परिवहन विभाग और स्थानीय निकाय विभाग को पाबंद किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर 26 के करीब स्थानों पर जो डिवाइडर तोड़े गए हैं, उनको मरम्मत करने के आदेश दिए गए हैं। राष्ट्रीय मार्ग पर शराब के ठेके न हों, इस बाबत एक्साइज विभाग को कार्रवाई के लिए कहा जा रहा है।
प्रश्न : हाईवे पर बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जहां पर रात के समय ट्रक रुकते हैं, इसको लेकर क्या कदम उठाएंगे?
उत्तर : रात के समय किसी भी मार्ग (सड़क पर) ट्रक या कोई अन्य वाहन न रुके, इसके लिए प्रशासन पूरे प्रयत्न कर रहा है। फिर भी यदि लापरवाह चालकों के चलते ऐसा होता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। नेशनल हाईवे व स्टेट हाईवे अथारिटी के अधिकारियों के साथ आने वाले दिनों में इसको लेकर बैठक की जाएगी।
प्रश्न: सड़क पर बेसहारा पशु हादसों का कारण बनते हैं, इस समस्या के हल के लिए क्या कदम उठाएंगे?
उत्तर : लोगों का कर्तव्य बनता है कि वे सड़कों पर पशु लेकर न जाएं और ना ही उन्हें छोड़ें। वहीं बेसहारा पशुओं की समस्या के हल के लिए वेटरनरी विभाग और नगर कौंसिल का सहयोग लिया जाएगा।
प्रश्न : सड़कों पर तंग और खस्ता पुलों के आसपास साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर नहीं लगे, धुंध में हादसा हो तो कौन जिम्मेदार होगा? जवाब : मैं तरनतारन जिले में दो वर्ष से तैनात हूं। पूरे जिले का निरीक्षण भी कर चुका हूं। मुझे कोई ऐसा तंग और खस्ता पुल नहीं मिला। फिर भी दो स्थानों पर पुलों का निर्माण चल रहा है। ऐसे में हादसा न हो, दोनों तरफ साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर लगाने के आदेश दिए गए हैं। यदि हादसा होता है तो उसके लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। गलती तो आखिर किसी एक वाहन चालक की जरूरत होती है।
प्रश्न : साढ़े 11 लाख की आबादी वाले सीमावर्ती जिले में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं। हादसे के घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए सेहत विभाग के पास जो एंबुलेंस है, वो भी कंडम हो चुकी है। इसमें कैसे सुधार करवाएंगे?
उत्तर : जिले में ट्रामा वार्ड बाबत जिला प्रशासन ने एक वर्ष में दो बार सरकार को लिखा है। जैसे सब डिवीजन स्तर पर पट्टी, खडूर साहिब के अलावा जिला स्तरीय सिविल अस्पताल, तरनतारन में है। फिर भी जिले में ट्रामा वार्ड होना जरूरी है। इसके निर्माण के लिए प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। अब यह सरकार को देखना चाहिए। सेहत विभाग की कंडम एंबुलेंस की समस्या भी सुलझाएंगे।
वैसे जिले में 12 से अधिक 108 एंबुलेंस गाडिय़ां हैं। सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों और अन्य स्टाफ की कमी को लेकर सरकार पहले से ही गंभीर है।
प्रश्न : अनफिट स्कूली वाहनों के मामले में स्कूली विद्यार्थियों की जान से यदि खिलवाड़ होता है तो उसके लिए क्यों न सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाए?
उत्तर : जिले भर के सभी स्कूलों से संबंधित वाहनों की चेकिंग के लिए कमेटी बनी हुई है। यह कमेटी समय-समय पर स्कूली वाहनों की चेकिंग करती है। इन वाहनों में फर्स्ट एड बाक्स भी यकीनी तौर पर होता है। फिर भी आप के दावे (दैनिक जागरण) के मुताबिक सभी एसडीएम को आदेश दिया जा रहा है कि वे अपने स्तर पर चेक जरूर करें।