देश सेवा को समर्पित हैं गांव पंडोरी सिधवां के युवा
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन देश सेवा को समर्पित होने का जज्बा अगर सीखना हो तो गांव पंडोरी सिधव
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन
देश सेवा को समर्पित होने का जज्बा अगर सीखना हो तो गांव पंडोरी सिधवां के युवाओं से सीखा जा सकता है। इस गांव के गबरू बड़े होकर फौज, बीएसएफ और सीआरपीएफ में भर्ती हो रहे हैं। कई परिवारों में तो यह जज्बा पीढ़ी दर पीढ़ी उभर रहा है।
पाकिस्तान के साथ लगती सीमा वाले जिला तरनतारन के गांव पंडोरी सिधवां की आबादी 2500 है। गांव के करीब 200 युवा सेना में तैनात हैं।
गांव के बुंट्टर परिवार का जिक्र करना जरूरी है। बीएसएफ में तैनात सतवंत सिंह 1972 में ड्यूटी के दौरान इस दुनिया को अलविदा कह गया। सतवंत सिंह की मौत खबर जब उनकी पत्नी जसबीर कौर को मिली उस समय वह गर्भवती थी। जसबीर कौर ने बेटे परमजीत सिंह को जन्म देकर उसे भी बीएसएफ में भर्ती करवाने का सपना लिया। मां का सपना पूरा करते हुए परमजीत सिंह बीएसएफ में तैनात हो गया। कुदरत को ऐसा मंजूर हुआ कि ड्यूटी मौके 27 दिसंबर 2010 को परमजीत सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उसका शव जब गांव लाया गया तो सुहागिन से विधवा हुई कर्मजीत कौर ने अपने पारिवारिक जज्बे को आगे ले जाना बेहतर समझा। पति की जगह बीएसएफ में कर्मजीत कौर को 2015 में भर्ती कर लिया गया। कर्मजीत कौर फिरोजपुर जिले में तैनात है। कर्मजीत कौर की सास जसबीर कौर ने दैनिक जागरण को बताया कि उनका परिवार देश को समर्पित है। कर्मजीत कौर के दो लड़के विकासबीर सिंह (18) व जर्मनदीप सिंह (14) है। यह दोनों लड़के अपनी मां, पिता और दादा की तरह देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात होना चाहते हैं। बाक्स
जुड़वा भाई भी सैनिक
गांव निवासी किसान सुखदेव सिंह के पास अधिक जमीन नहीं। उसके दो जुड़वा बेटे निशान सिंह और गुरदित्त सिंह हैं। यह दोनों भाई अपने गांव के उन सैनिकों के बच्चों से खेला कूदा करते थे जो फौज में भर्ती हो गए। गांव के युवाओं का फौज में जाने का जज्बा इन दोनों जुड़वा भाईयों के मन में पूरी तरह बैठ गया। दोनों ने कड़ी मेहनत की। नतीजा यह निकला कि निशान सिंह और गुरदित्त सिंह दोनो एक साथ फौज में भर्ती हो गए। फरवरी 2019 के पहले सप्ताह यह दोनों जुड़वा भाई फौज की ट्रेनिंग लिए रवाना हो जाएंगे। मां बलविंदर कौर का कहना है कि मेरे जिगर के टुकड़े जब देश की सीमा पर तैनात होंगे तो मेरे दूध का कर्ज उतर जाएगा।
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यह भी है पीढ़ी दर पीढ़ी सैनिक
कारगिल की चोटियों पर शहादत का जाम पीने वाले सैनिक दलजीत सिंह का लड़का कुलदीप सिंह भारतीय फौज में सैनिक है। कुलदीप सिंह ने सेना में जाने की जिद्द नहीं की थी बल्कि गांव में एक ऐसी परंपरा बन चुकी है कि बड़े होकर सेना में ही जाना है। फौज से सेवामुक्त सूबेदार गुरमीत सिंह का बेटा बलजिंदर सिंह भी सैनिक है। पूर्व सैनिक अमरजीत सिंह का बेटा मनजिंदर सिंह हाल ही में सेना में भर्ती हुआ है। महिला परमजीत कौर बताती है कि उसके ससुर मंगत सिंह सेना में थे। जिसके बाद जेठ सेवा सिंह सैनिक बने और परमजीत कौर के पति दलबीर सिंह भी फौजी बन गए। कारगिल की जंग में सैनिक कश्मीर सिंह ने जब अपने प्राणों की आहूति दी थी तो उस समय उनका बेटा दलजीत सिंह भी सेना में था।
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गांव में बनाया जाए स्टेडियम : पलविंदरजीत सिंह ऑल इंडिया एंटी करप्शन मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पलविंदरजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता कश्मीर सिंह बैंक से बतौर मैनेजर सेवामुक्त हुए थे। उन्होंने गांव के युवाओं को खेलों से जोड़ने लिए दिन रात एक करके मेहनत की जिसके चलते गांव के युवा लगातार सैनिक बन रहे हैं। पिता की याद में युवाओं ने गांव में स्पोर्ट्स क्लब बनाया है। पलविंदरजीत सिंह का कहना है कि गांव में कोई भी खेल स्टेडियम नहीं है। गांव के युवा स्कूल मैदान में युवा खेलते है। उन्होंने मांग की कि गांव में खेल स्टेडियम बनाया जाए। बाक्स
पूरे देश को है गर्व : डॉ. अग्निहोत्री
हलका विधायक डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री का कहना है कि गर्व की बात है कि एक पूरा गांव देश को समर्पित है। यह गांव पंजाब में ही नहीं बल्कि देश के लिए रोल मॉडल है। इस गांव के युवाओं में सैनिक बनने का जज्बा पीढ़ी दर पीढ़ी सामने आ रहा है। गांव को मैं सलाम करता करता हूं। खेल नीति को उत्साहित करने लिए एक ब्लॉक में दो खेल स्टेडियम बनाने का विचार है। इस योजना के तहत गांव पंडोरी सिधवां में खेल स्टेडियम बनाने को तरजीह दी जाएगी।