ताया, मां और भाई के शव देखकर भी नहीं हारी हिम्मत, मौत को दी मात
तरनतारन : जगतार सिंह जब फौज की नौकरी करते देश की सीमा पर तैनात था तो उसकी अपने कार्य के प्रति वफादारी की मिसाल दी जाती थी।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : जगतार सिंह जब फौज की नौकरी करते देश की सीमा पर तैनात था तो उसकी अपने कार्य के प्रति वफादारी की मिसाल दी जाती थी। नौकरी के बाद जब सेवा मुक्त होकर घर लौटा तो जमीन के लालच में उसे अपने ही भाईयों के परिवारों पर तेजधार हथियारों से हमला करवा कर तीन लोगों की हत्या करवा दी थी, जबकि दो मासूम बहनों ने खुद अपनी जान तो बचाई साथ ही गंभीर घायल छोटी ताई की की भी जान बचाई।
थाना सरहाली कलां के गांव खारा निवासी पूर्व सैनिक जगतार सिंह तीन भाई थे। उनके पास 9 किले जमीन थी। जगतार सिंह को जमीन के लालच ने इस कदर अंधा बना दिया कि 31 जनवरी 2011 की आधी रात भाड़े के छह साथियों समेत एक साथ रहते दो भाईयों सुरजीत सिंह और सुखविंदर सिंह परिवार पर टूट पड़े। उसे समय सुरजीत सिंह के दोनों लड़के खेतों को पानी लगाने गए थे आरोपितों ने घर मे सो रहे सुरजीत सिंह, उसकी पत्नी सुखविंदर कौर के अलावा घर से किसी काम लिए बाहर गए सुखविंदर सिंह की पत्नी हरप्रीत कौर, 15 वर्षीय लड़की कमलजीत कौर, 11 वर्षीय अमनदीप कौर व 7 वर्षीय भतीजे गुरजंट सिंह के शरीर को कई टुकड़ों में बांट दिया। जमीन के लालच में पूर्व सैनिक जगतार सिंह और उसके भाड़े के साथियों के हाथों मौके पर सुरजीत सिंह, हरप्रीत कौर व मासूम गुरजंट सिंह मारे गए। ताया द्वारा किए गए हमले में कमलजीत कौर और अमनदीप कौर की गर्दन बुरी तरह से कट चुकी थी। दोनों बहनों ने तीन शवों के पास तड़प रही अपनी छोटी ताई सुखविंदर कौर को देखा और दोनों मासूम बहनों ने साहस करते हुए धड़ से अलग हो रहे अपने सिरों को हाथो से सहारा लिया और घर से सौ गज की दूरी पर उस बहक पर पहुंची यहां पर विवाह का जश्न मनाया जा रहा था। कमलजीत कौर और अमनदीप कौर ने विवाह वाले घर जाकर अपने बड़े ताया जगतार सिंह की करतूत से अवगत करवाया। लंबे समय तक चले ईलाज के बाद छोटी ताई सुखविंदर कौर व उक्त दोनों मासूम बहनों की जान बच गई। वीरता पुरस्कार से सम्माति हैं दोनों बहनें
जमीन विवाद को लेकर तेजधार हथियारों से बुरी तरह से कटने के बावजूद बचने वाली इन दोनों बहनों को पुलिस प्रशासन द्वारा बहादुरी के आवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। कमलजीत कौर विवाह के बाद आस्ट्रेलिया चली गई है, जबकि अमनदीप कौर बीएससी कंप्यूटर कर रही है। इनके पिता सुखविंदर सिंह खारा तर्कशील सोसायटी से जुड़े है। उन्होंने मरणोप्रांत अपना शरीर दान करने का बकायदा फार्म भरा है।