शहर में आवारा कुत्तों का खौफ, रोजाना लोगों को बना रहे शिकार
शहर में आवारा कुत्तों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
राहुल शर्मा, तरनतारन
शहर में आवारा कुत्तों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। राह जाते लोगों को ये कब काट लें, कुछ नहीं कह सकते। आवारा कुत्ते छोटे-छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। डर के मारे लोग घर से निकलने को भी डरने लगे हैं। हालात ये हैं कि पिछते दो दिन में आवारा कुत्तों ने लगभग 12 लोगों को काट लिया। उधर, जिला प्रशासन कुत्तों पर नकेल कसने और उनकी नसबंदी न करने के पीछे फंड न होने का हवाला दे रहा है।
दिलबाग सिंह, रामू, केवल कुमार, चन्नण सिंह, चंदन कौर, बीरइंद्र कौर, बचित्र कौर ने बताया कि शहर में आवारा कुत्ते राहगीरों को काटने के साथ-साथ सड़क हादसों का कारण भी बन रहे हैं। पिछले दिनों एक दंपति मोटरसाइकिल पर सवार होकर काजीकोट रोड की ओर जा रहा था। इसी दौरान एक हलकाए हुए कु त्ते ने मोटरसाइकिल चला रहे युवक के पैर पर काट लिया। इतना ही नहीं इसके बाद बाइक पर पीछे बैठी उसकी पत्नी को काटा और उसके पैर का नाखून ही निकाल कर ले गया। दोनों जख्मी हो गए। राहगीरों ने उन्हें तुरंत सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। वहां पहले से ही दो मरीज भर्ती थे, जिन्हें कुत्ते ने काट लिया था। हालांकि राहत यह थी कि सिविल अस्पताल में रेबिज के टीके उपलब्ध थे, और उनका तुरंत इलाज शुरू कर दिया गया। शहरवासियों ने मांग की कि नगर कौंसिल अधिकारियों को इन आवारा कुत्तों की बढ़ रही गिनती पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिएं ताकि लोगों को किसी मुश्कि ल का सामना न करना पड़े।
पिछले छह महीने लगाए जा रहे रैबिज के टीके
महीना कुल टीके लगे
नवंबर 2018 252
दिसंबर 2018 265
जनवरी 2019 212
फरवरी 2019 272
मार्च 2019 243
अप्रैल 2019 160 कोट्स
फंड आते ही करवाई जाएगी नसबंदी
आवारा कुत्तों की नसबंदी लिए स्थानीय निकाय विभाग पास कोई फंड नहीं आया है। इस बाबत मार्च माह में सरकार को लिखा गया था। फंड मुहैया होते ही आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाई जाएगी। आवारा कुत्तों पर नकेल डालने लिए पब्लिक का सहयोग नहीें मिल रहा।
-मनमोहन सिंह रंधावा, नगर कौंसिल के कार्यसाधक अधिकारी
वेटर्नरी विभाग की कार्यगुजारी का होगा मूल्यांकन
आवारा कुत्तों पर नकेल कसने लिए वेटर्नरी विभाग को आदेश जारी किया जाएगा। डेढ़ वर्ष के दौरान वेटर्नरी विभाग की कार्यगुजारी का मूल्यांकन किया जाएगा। विभाग ने अगर सही ढंग से जिम्मेदारी नही निभाई तो कार्रवाई होगी।
-प्रदीप सभ्रवाल, डीसी
अस्पताल में इलाज के पुख्ता प्रबंध
डॉग बाइट के केसों से निपटने लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से पहले से ही स्टॉक रखा जाता है ताकि ऐसे केस सामने आने पर तुरंत मरीजों का र्इंलाज किया जा सके। साल 2019 के जनवरी से मई तक 675 टीकों का स्टॉक अभी भी अस्पताल की डिस्पेंसरी में है। यह टीका 5 दिनों के अंतर से लगाया जाता है।
-डॉ. रोहित मेहता, एसएमओ