शिअद की रैली को लेकर कैरों व वल्टोहा के बीच सियासी जंग शुरू
विधानसभा चुनाव में जिले की चारों सीटों पर बुरी तरह से हारने वाले शिरोमणि अकाली दल कैप्टन सरकार को भले ही घेरने की कोशिश कर रहा है
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : विधानसभा चुनाव में जिले की चारों सीटों पर बुरी तरह से हारने वाले शिरोमणि अकाली दल कैप्टन सरकार को भले ही घेरने की कोशिश कर रहा है लेकिन शिअद के यहां सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा। 27 फरवरी को तरनतारन में रखी गई रैली को लेकर कैरों और वल्टोहा परिवार में सियासी लड़ाई तेज हो गई है। जिसके चलते शिअद लीडरशिप की नजरें रैली पर केंद्रित होने लगी है।
1997 से लेकर 2012 तक लगातार चार बार आदेश प्रताप सिंह कैरों ने पट्टी हलके से चुनाव जीता था। उन्होंने शिअद की सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री बनकर कई शिअद नेताओं को पछाड़ दिया था। कुछ समय से आदेश प्रताप सिंह कैरों व वल्टोहा हलके की प्रधानगी कर रहे पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा के बीच तलखबाजी पैदा हो गई थी। जिसके चलते कैरों ने खेमकरण हलके में सियासी जमीन फिर से तलाशनी शुरू कर दी है। इस दखल का प्रो. वल्टोहा ने हाईकमान तक भी विरोध जताया है, परंतु कैरों परिवार का रवैया नहीं बदला।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों द्वारा खेमकरण के अलावा खडूर साहिब हलके में भी अपना सियासी दखल तेज कर दिया गया।
प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा के सुझाव पर रखी गई रैली
हाल ही में कैरों द्वारा अकाली दल टकसाली के अध्यक्ष रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा के करीबी रहे गुरिंदर सिंह टोनी को चंडीगढ़ ले जाकर बादल परिवार के करीब लाने में कसर नहीं छोड़ी गई। एक सप्ताह पहले चंडीगढ़ में पार्टी बैठक मौके शिअद प्रवकता प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा द्वारा कांग्रेस सरकार के खिलाफ जिला स्तरीय रैली 27 फरवरी को रखवा दी गई। जिसका पूर्व मंत्री कैरों ने विरोध जिताया। इसके बावजूद रैली का समय व स्थान नहीं बदला गया। गौर हो कि प्रो. वल्टोहा शिअद के जिला अध्यक्ष भी हैं। जिला अध्यक्ष के तौर पर 27 फरवरी को रैली करवाने लिए प्रो. वल्टोहा पूरी तैयारी में हैं। उनका गुट पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ है, जिसमें पूर्व सीपीएस हरमीत सिंह संधू भी शामिल है। माझा जोन में पकड़ बनाने में जुटे कैरों
हालांकि मजीठिया को माझा का जरनैल न मानने वाले पूर्व मंत्री कैरों अब माझा में अपना गुट बनाने के लिए कसर नहीं छोड़ रहे। सूत्रों का दावा है कि बोनी अमरपाल सिंह अजनाला की चंडीगढ़ में सुखबीर सिंह बादल के साथ मुलाकात करवाने में कैरों की अहम भूमिका थी। ऐसे में 27 फरवरी की तरनतारन रैली में पूर्व मंत्री कैरों शिरकत करते हैं या नहीं, इसके लिए शिअद लीडरशिप में कई प्रकार के चर्चे हो रहे हैं। हालांकि रैली के लिए तरनतारन से हरमीत सिंह संधू, खडूर साहिब से अलविंदरपाल सिंह पखोके, खेमकरण से प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा पूरी तरह से दिन रात एक कर रहे हैं, परंतु पट्टी हलके की सरगर्मी कहीं नजर नहीं आ रही।
कड़वाहट खत्म करने के लिए बड़े बादल की आमद जरूरी
कैरों व वल्टोहा परिवार के बीच शुरू हुई सियासी कड़वाहट को खत्म करने लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को रैली में लाना जरूरी समझा जा रहा है। अगर रैली में बादल आते है तो कैरों को रैली में शिरकत करवाना आसान हो जाएगा। क्योंकि रैली में पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया भी पहुंच रहे है। मजीठिया के साथ संधू व वल्टोहा चटान की तरह खड़े है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी नहीं चाहते कि मजीठिया के मुकाबले उनके दामाद कैरों का सियासी कद कम हो।