चुनावी वादों को लेकर कांग्रेस को घेरने की तैयारी में सियासी दल
। सत्ता में आने से पहले कांग्रेस पार्टी की ओर से जनता से किए गए वादे पूरे न होने को लेकर विपक्षी सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस को घेरने की तैयारी में हैं।
धर्मबीर सिंह मल्हार, खेमकरण
सत्ता में आने से पहले कांग्रेस पार्टी की ओर से जनता से किए गए वादे पूरे न होने को लेकर विपक्षी सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस को घेरने की तैयारी में हैं।
लगातार दो चुनाव हारने वाले पूर्व मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर के बेटे सुखपाल सिंह भुल्लर ने वर्ष 2017 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतरते हुए शिअद प्रवक्ता प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा को करारी शिकस्त दी थी। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि चुनावी वादे पूरे होंगे, परंतु ऐसा नहीं हुआ। उलटा हलका विधायक की क्षेत्र से गैर हाजरी को लेकर विपक्षी सहित विभिन्न पार्टियों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
सुखपाल सिंह भुल्लर को भले ही अपने पिता पूर्व मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर का सियासी अनुभव का लाभ मिल रहा हो, लेकिन चुनावी वादों पर कांग्रेस खरी नहीं उतर पाई। इस कारण हलके में कांग्रेस वर्करों में निराशा बढ़ रही है। हाल ही में मार्केट कमेटियों की चेयरमैनियां बांटकर कांग्रेस पार्टी ने अपने शुभचिंतकों को खुश करने का प्रयास किया है।
पूर्व सीपीएस प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा कहते हैं कि हलके के लोगों पर फर्जीक केस दर्ज करके ओछी राजनीति की जा रही है। बिजली दरों में बढ़ोतरी को मुद्दा बनाकर प्रो. वल्टोहा विधायक भुल्लर को घेरने का प्रयास लगातार कर रहे हैं। हलके से अकसर गायब रहने वाले विधायक सुखपाल सिंह भुल्लर को घेरने लिए आम आदमी पार्टी द्वारा जसबीर सिंह सुरसिंह को हलके की कमान सौंपी गई है। इससे आप समर्थकों में भी जोश पैदा हुआ है।
इसी तरह पंजाबी एकता पार्टी जिला अध्यक्ष सुखबीर सिंह वल्टोहा भी खेमकरण हलके में पार्टी की सदस्यता बढ़ाने के साथ किसानों की कर्जमाफी, घर-घर रोजगार, युवाओं को मोबाइल फोन, 51 हजार की शगुन स्कीम के वादों को मुद्दा बनाकर हलका विधायक के खिलाफ लोगों को लामबंद करने में कसर नहीं छोड़ रहे।
पहले कांग्रेसी और फिर अकाली रहे दलजीत सिंह गिल अकाली दल टकसाली को मजबूत बनाने के लिए दोनों ही पार्टियों (कांग्रेस व शिअद) पर भारी पड़ने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे। गिल की सियासी गतिविधियां लगातार जोर पकड़ रही हैं। इसका सीधा नुकसान दोनों सियासी दलों को हो रहा है। साथ ही चुनावी वादों के मुद्दे पर कांग्रेस से रूठने वाले परिवारों को अकाली दल टकसाली से जोड़ा जा रहा है।