मशरूम की खेती से बदल गई तरनतारन के युवा किसान की किस्मत, छह माह में 14 लाख की कमाई
ये हैं पंजाब के तरनतारन जिले के युवा किसान दलजीत सिंह। आर्थिक तंगी के कारण इ्न्होंने मशरूम की खेती की शुरुआत की थी। मुश्किलें आई लेकिन आज वह चिट्टी (सफेद) क्रांति केे जनक केे रूप में जाने जाते हैं।
तरनतारन [धर्मबीर सिंह मल्हार]। पाकिस्तान की सीमा से सटे तरनतारन जिले के गांव हरबंसपुरा में भले ही दो दर्जन से अधिक किसान खेती के धंधे से जुड़े हुए हैंं, लेकिन 34 वर्षीय युवा किसान दलजीत सिंह की अलग ही पहचान है। वह इस क्षेत्र में चिट्टी (सफेद) क्रांति केे जनक केे रूप में जाने जाते हैं। दरअसल, खेतों में पराली व नाड़ की समस्या व आर्थिक तंगी से उबरने के लिए युवा दलजीत सिंह ने फसली चक्र के मोह छोड़ा और मशरूम की खेती शुरू कर दी। शुरू में परेशानी आई, लेकिन आज वह सबके लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। छह माह काम कर 13 से 14 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहा है।
लगभग 700 की आबादी वाले ब्लाक गंडीविंड के गांव हरबंसपुरा निवासी किसान जागीर सिंह के दो लड़के हरप्रीत सिंह व दलजीत सिंह हैंं। दलजीत सिंह के पास सात एकड़ जमीन है। पराली और नाड़ के झंझट से मुक्ति पाने के लिए दलजीत सिंह ने मशरूम की खेती को अपनाया। 1999 में छोटी सी उम्र में ही एक शेड डालकर मशरूम की खेती शुरू करने वाले दलजीत सिंह के पास अब ऐसे 20 शेड हैंं। प्रत्येक शेड की लंबाई 70 फुट व चौड़ाई 20 फुट (तीन कनाल) है। यहां पर वह मशरूम की पैदावार कर रहा है।
मशरूम की खेती के लिए शेड तैयार करवाते युवा किसान दलजीत सिंह। जागरण
दलजीत सिंह बताते हैंं कि मशरूम की खेती ने उन्हें आर्थिक मजबूती दी है। वह वर्ष में 150 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहा है। वह इसे 200 ग्राम की पैकिंग में बेचते हैं। वह छह माह में 13 से 14 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहा है। इसमें से सात से आठ लाख रुपये का मुनाफा उसकी जेब में जाता है, जबकि उसके साथ काम करने वाले आठ से दस मजदूरों को छह महीने लिए रोजगार भी मुहैया करवाता है। मशरूम के कारोबार में पूरी तरह से कामयाब किसान दलजीत सिंह को कृषि विभाग ने भी सम्मानित किया। वह अन्य किसानों को भी मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दे रहा है।
युवा किसान दलजीत सिंह। जागरण
पत्नी भी खेत में रहती है खुश
दलजीत सिंह की पत्नी बबलजीत कौर अपने दस वर्षीय लड़के रणबीर सिंह को लेकर जब खेत में आती है तो मशरूम की खेती देखकर गद्गद् हो जाती है। बबलजीत कौर कहती हैंं कि अब मेरे मायके वाले भी मशरूम की खेती के बारे में सोच रखने लगे हैंं। मशरूम की खेती लिए अलग तौर पर मेहनत नहीं करनी पड़ती, बल्कि संजीदगी बरतनी पड़ती है।
खेतों में पत्नी व बच्चे के साथ दलबीर सिंह। जागरण
पूरा गांव है खुश
गांव हरबंसपुरा के सरपंच सुच्चा सिंह, पूर्व सरपंच निर्मल सिंह, राजविंदर सिंह के अलावा किसान बलकार सिंह, सतनाम सिंह, जागीर सिंह, कश्मीर सिंह, सरूप सिंह कहते हैं कि आज के दौर में पराली, नाड़ को आग लगाना बड़ी समस्या है। वहीं, गिर रहे भूजल स्तर के मद्देनजर किसान दलजीत सिंह ने मशरूम के माध्यम से चिट्टी क्रांति का रास्ता दिखा दिया है।
युवा किसान दलजीत सिंह ने कई मजदूरों को भी रोजगार दिया हुआ है। जागरण
डीसी कर चुके है सम्मानित
चिट्टी क्रांति लाने वाले युवा किसान दलजीत सिंह ने बताया कि 15 अगस्त 2019 में डिप्टी कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल द्वारा जिला स्तरीय समागम मौके मुझे सम्मानित किया गया था। उस सम्मान ने मेरा काफी हौसला बढ़ाया। अन्य किसानों को चाहिए कि फसली चक्र से थोड़ा परे होकर चिट्टी क्रांति की ओर रुख करें।
डीसी ने भी की प्रशंसा
डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह धूरी का कहना है कि किसान दलजीत सिंह मशरूम की खेती से जहां आर्थिक तौर पर लाभ प्राप्त कर रहा है, वहीं पराली को खेतों में मिलाकर जमीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने का काम भी कर रहा है। डीसी ने कहा कि अन्य किसानों को भी दलजीत सिंह से प्रेरणा लेनी चाहिए।
विधायक बोले- अन्य किसान भी लें सीख
विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री का कहना है कि मेरे हलके के गांव हरबंसपुरा के युवा किसान दलजीत सिंह ने अपनी सूझबूझ से मशरूम की खेती के माध्यम से जो पहचान बनाई है उससे अन्य किसानों को भी सीख लेनी चाहिए।
यह भी पढ़ें: लव जिहाद रोकने के लिए बने सख्त कानून, योगी के बयान के बाद विहिप और करणी सेना ने उठाया मुद्दा
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान से लौटे पांच भारतीयों में से चार का मानसिक संतुलन बिगड़ा, जेलों में किया गया टार्चर
यह भी पढ़ें: प्रोजेक्ट में रोड़ा: यात्री ट्रेन से 35 फीट ऊंचाई पर मालगाड़ी दौड़ाने की योजना के बीच आया सेना डिपो