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भाइयों, औलाद और सुहाग को खो चुकी यह बदनसीब कैसे मनाएंगी रक्षाबंधन

एक तरफ रक्षाबंधन के मौके हाथों पर सजाने के लिए सुंदर राखियां खरीदी गई। दूसरी तरफ वहीं हाथ अपने भाइयों पुत्रों और सुहाग की मौत पर पीटते दिखे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 12:40 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 12:40 AM (IST)
भाइयों, औलाद और सुहाग को खो चुकी यह बदनसीब कैसे मनाएंगी रक्षाबंधन
भाइयों, औलाद और सुहाग को खो चुकी यह बदनसीब कैसे मनाएंगी रक्षाबंधन

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : एक तरफ रक्षाबंधन के मौके हाथों पर सजाने के लिए सुंदर राखियां खरीदी गई। दूसरी तरफ वहीं हाथ अपने भाइयों, पुत्रों और सुहाग की मौत पर पीटते दिखे। जिले में जहरीली शराब से 64 घरों के चिराग बुझ चुके है। जबकि एक दर्जन के करीब अभी विभिन्न अस्पतालों में जेरे इलाज है। एक तरफ मरने वालों की मौत का गम परिजनों को सता रहा है। दूसरी तरफ यह उम्मीद दिखाई नहीं देती कि आखिर जहरीली शराब का कारोबार करने वालों को कब सजा मिलती है।

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खडूर साहिब हलके कांग्रेसी विधायक रमनजीत सिंह सिक्की के पीए जर्मन कंग का नाम लेकर मृतकों के परिजनों ने खूब पीट-सियापा किया है। हालांकि जर्मन कंग इसे घटिया सियासत का नतीजा करार देते खुद को बेकसूर कहते हैं। पीए जर्मन के गांव में भी जहरीली शराब का सेक पहुंचा है। इस गांव में पांच से अधिक लोगों की जान गई है। जहरीली शराब पीने से गांव कंग के लखविंदर सिंह की एमरजेंसी वार्ड में इलाज दौरान मौत हो गई। लखविंदर सिंह की मौत की खबर उसकी पत्नी किरनदीप कौर को लगी तो दोनों हाथ आसमान की ओर करते उस घड़ी को कोसने लगी, जब उसके पति ने जहरनुमा शराब पी थी। किरनदीप कौर ने बताया कि वह बेऔलाद होने का गम यह सोचकर हो रही थी कि जीवन साथी अच्छा है, परंतु आज मैं बुरी तरह से लुट गई। -------

मोहल्ला गोकुलपुरा निवासी पूर्व सैनिक स्वर्ण सिंह की अमृतधारी मां कुलवंत कौर अपने एकलौते लड़के धरमिंदर सिंह के शव पर बार-बार बेहोश हो रही थी। धरमिंदर सिंह की विधवा और उसके दो बच्चों को दिलासा देने वाले भी आंसू न रोक पाए। --------

दिव्यांग मां-बेटा का नहीं रहा सहारा

गांव संघा निवासी मंजीत सिंह रिक्शा चालक था। वह शुरू से ही दिव्यांग था। परंतु अपनी दिव्यांग पत्नी किंदर कौर व दिव्यांग लड़के सोना के लिए रोज कमाई करके जब घर लाता था तो फिर चुल्हा जलता था। जहरीली शराब की भेंट चढ़े मंजीत सिंह की विधवा पत्नी और मासूम बच्चा भी बेसहारा हो गए। ----------

गांव संघा निवासी कुलदीप सिंह को आधी रात सिविल अस्पताल दाखिल करवाया गया। यहां पर शनिवार को सुबह मौत की खबर आई। कुलदीप सिंह की कोई औलाद नहीं थी। पत्नी अमनदीप कौर को ही कुलदीप सिंह का सहारा था। सारा दिन उसे नहीं बताया गया कि कुलदीप सिंह मर चुका है। शाम को पोस्टमार्टम के बाद जब शव घर पहुंचा तो अमनदीप कौर बेहोश हो गई। -------------

गांव संघा निवासी रेशम सिंह की पहले दोनों आंखों की रोशनी जाती रही। फिर सुबह आठ बजे उसके प्राण निकलने की खबर मिली। बेटे की मौत बाबत मां महिदर कौर को नहीं बताया गया। वह घंटों तक हाथ जोड़कर वाहेगुरु के आगे अरदास करती रही। रेशम सिंह की तीन लड़किया महकप्रीत, मलका रानी, करनप्रीत व लड़का शमशेर शेरा भी शव देखकर हैरान रह गए। ---------

पैसे खर्च करके परिजन लाते रहे बर्फ, उबला गुस्सा

शराब पीने से मरने वालों के शव मोर्चरी में रखवाए गए। मोर्चरी में केवल तीन शव रखने की क्षमता है। परंतु दर्जन से अधिक शव जमीन पर ही रखे गए। शवों को बदबू से बचाने के लिए अस्पताल के प्रबंधक मृतकों के परिजनों से रात भर बर्फ मंगवाते रहे। सुबह होते ही परिवारों का गुस्सा उबला और सरकार खिलाफ नारेबाजी की। मौके पर पहुंचे थाना सिटी के प्रभारी अमृतपाल सिंह व महिला सब इंस्पेक्टर कुलजीत कौर को खरी-खरी सुननी पड़ी। परंतु दोनों अधिकारियों ने सूझबूझ से काम लेते लोगों को शांत किया। खुले आसमान के नीचे पड़ा रहा शव

मोहल्ला गोकुलपुरा निवासी लाल सिंह की रात को घर में ही मौत हो गई। लाल सिंह अनाज मंडी में मजदूरी करता था। घर में शव रखने की क्षमता नहीं थी। जिसके चलते लाल सिंह का शव सारी रात घर के आंगन में पड़ा रहा। सुबह घंटों तक मोहलेधार बारिश भी होती रही। बेटे के शव का हाथ थाम रोता रहा मुखतार

मोहल्ला रोड़ूपुरा निवासी पेंट का कारोबार करने वाले प्रताप सिंह के शव को कमरे के आगे रखा गया। रात भर शव के पास पिता मुखतार सिंह बैठा रहा। मृतक बेटे के शव का हाथ पकड़ वह कभी रो पड़ता तो कभी आंसू पोंछता रहा।


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