पिता के साथ-साथ मां का भी दिया प्यार
30-31 जनवरी 2011 की ठिठुरती रात को लहूलुहान हुई दो मासूम बहनों ने पड़ोस वाले फार्म हाउस पर जाकर जब अपने घर में हुए खूनी कोहराम की कहानी बताई तो सुनने वालों के पैरों से जमीन खिसक गई।
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : 30-31 जनवरी 2011 की ठिठुरती रात को लहूलुहान हुई दो मासूम बहनों ने पड़ोस वाले फार्म हाउस पर जाकर जब अपने घर में हुए खूनी कोहराम की कहानी बताई तो सुनने वालों के पैरों से जमीन खिसक गई। इन दोनों मासूम बहनों के 7 वर्षीय भाई, 42 वर्षीय मां और ताया के कत्ल की रात को आज भी परिवार भूल नही पाया। कत्ल करने वाला कोई ओर नही बल्कि मासूम बहनों का ताया ही था। उसने जमीन के बंटवारे के लिए भाड़े के लोग लेकर तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था।
थाना सरहाली के गांव खारा निवासी तर्कशील सुखविंदर सिंह की इन दोनों मासूम बेटियों के शरीर पर दर्जन के करीब घाव थे। आरोपितों ने तीन कत्ल करने के साथ इन दोनों मासूम बहनों की गर्दनों को बुरी तरह से काट दिया था। हत्याकांड को अंजाम देकर आरोपित भंगड़ा डालते रहे। लहूलुहान हुई अमनदीप कौर जो उस समय 11 वर्ष की थी, ने हिम्मत करके पड़ोस में स्थित फार्म हाउस में गई। जहां पर विवाह समारोह चल रहा था। अमनदीप कौर की हिम्मत से पड़ोसियों ने फौरी कारवाई करते हुए उसे, उसकी बहन कमलजीत कौर और ताई सुखविंदर कौर को अस्पताल में भर्ती करवाया। तीन माह के बाद तीनों घायल घर लौटे तो पता चला कि 7 वर्षीय गुरजंट, 42 वर्षीय हरप्रीत कौर, 50 वर्षीय सुरजीत सिंह की मौत हो चुकी है।
अमनदीप कौर और कमलजीत कौर की मां हरप्रीत कौर और 7 वर्षीय छोटे भाई गुरजंट सिंह के मारे जाने से यह दोनों बहनें बुरी तरह से टूट चुकी थी। साथ ही इनका पिता सुखविंदर सिंह भी बुरी तरह से हार चुका था। अपने इकलौते बेटे, पत्नी और भाभी की हत्या के बाद सुखविंदर सिंह ने हिम्मत दिखाते हुए पिता होने के साथ-साथ मां के फर्ज भी पूरे किए। दो कनाल जमीन बेचने के बाद केस पर लाखों रुपये की राशि खर्च डाली। मधुमक्खियों के कारोबार में दो लाख का घाटा सहन करने वाले सुखविंदर सिंह ने अपनी मासूम बेटियों को पढाने की ठान ली। कभी सुखविंदर सिंह पिता की भूमिका में नजर आए तो कभी घर की चौखट पर बेटियों के साथ मां वाला व्यवहार करते दिखाई दिए। कमलजीत कौर की बड़ी लड़की बीएससी करने के बाद अपने पति समेत आस्ट्रेलिया चली गई है जबकि छोटी लड़की अमनदीप कौर बीए की पढ़ाई कर रही है।
दैनिक जागरण को जानकारी देते हुए अमनदीप कौर ने बताया कि बचपन में इकलौते भाई, मां व ताया की मौत के बाद वह बुरी तरह से टूट गए थे। ऐसा लगता था कि जैसे जिंदगी खत्म हो चुकी है। परंतु पिता सुखविंदर सिंह ने हिम्मत नहीं हारी। पिता के बलबूते यह बेटियां अब क्षेत्र मे मिसाल बन चुकी है।
दैनिक जागरण ने दिया था सम्मान
दैनिक जागरण द्वारा अमृतसर में करवाए गए कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2014 में अमनदीप कौर और कमलजीत कौर को 'मान धीयां दा' के सम्मान से नवाजा जा चुका है। पिता सुखविंदर सिंह कहते है कि मौत को करीब से देख चुकी दोनों बेटियों की उस समय हिम्मत बढ़ी जब दैनिक जागरण द्वारा उनको अमृतसर कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।