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संदेह और सवालों के घेरे में असला ब्रांच में आग लगने का मामला

2006 में माली तौर पर जिला बने तरनतारन की असला ब्रांच में लाइसेंसों के फर्जीवाड़े का मामला उजागर होते ही असला ब्रांच आग की भेंट चढ़ गई थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 06:19 PM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 06:19 PM (IST)
संदेह और सवालों के घेरे में असला ब्रांच में आग लगने का मामला

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन :

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2006 में माली तौर पर जिला बने तरनतारन की असला ब्रांच में लाइसेंसों के फर्जीवाड़े का मामला उजागर होते ही असला ब्रांच आग की भेंट चढ़ गई थी, जिसकी जांच के लिए विजीलेंस ब्यूरो ने ब्रांच के अमले के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, परंतु यह मुकदमा ढाई वर्ष से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। हालांकि असला ब्रांच में एक ओर नया फर्जीवाड़ा सामने आ गया है, जिसकी जांच हाल ही में पुलिस को सौंप दी गई है।

डीसी दफ्तर की असला ब्रांच में बड़े स्तर पर हथियारों के लाइसेंसों में गबन हुआ था। कई लोगों को बिना किसी जांच पड़ताल असले के लाइसेंस जारी किए थे, जिनका रिकार्ड न मिलने पर थाना सिटी तरनतारन में 2009 को एफआइआर दर्ज की गई। जिसकी जांच अभी आगे बढ़ी ही थी कि असला ब्रांच के अमले ने सियासी नेताओं की शरण लेते मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। दोबारा तीन वर्ष बाद जांच शुरू हुई तो असला ब्रांच में रात के समय आग लग गई। आग लगने से ब्रांच का रिकार्ड जल गया। इस बारे में थाना सिटी की पुलिस ने आग लगने के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी, परंतु जांच आगे नहीं बढ़ पाई।

स्थानीय पुलिस के खाली हाथ देखकर 26 अक्तूबर 2016 को विजीलेंस ब्यूरो द्वारा अपने स्तर पर की गई जांच के आधार पर नया मामला दर्ज किया था। उस समय एफआइआर नंबर 36 में धारा 436-175-201-202 आइपीसी, 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज करते असला ब्रांच के क्लर्क शिव करन सिंह, सीनियर सहायक राकेश कुमार, कर्मचारी इंद्रजीत कौर, जसबीर सिंह व चौकीदार हिम्मत रेडी को नामजद किया था। उक्त आरोपितों को विजीलेंस द्वारा अभी गिरफ्तार ही करना बाकी थी कि सभी ने पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटका आगामी जमानत ले ली। ढाई वर्ष से विजीलेंस ब्यूरो द्वारा अभी तक अदालत में चालान पेश नहीं किया गया। ब्रांच कर्मी को सीआइए ने हिरासत में लिया

इस दौरान असला ब्रांच में एक नया घोटाला सामने आया है। सूत्रों की मानें तो असले के नवीनीकरण के दौरान सरकारी तौर पर जमा होने वाली ढाई हजार की फीस वसूलने दौरान लाईसेंस धारकों से प्रति लाईसेंस 30 से 70 हजार रुपये वसूले गए। साफ्टवेयर में कथित तौर पर हेराफेरी कर विभाग की आंखों में धूल झोंकते हुए करीब 14 लाख रुपये का गबन किया है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में असला ब्रांच के एक कर्मी को पूछताछ के लिए सीआइए स्टाफ ले जाया गया था। परंतु उक्त कर्मी के पीछे हलके के विधायक का आर्शीवाद होने कारण उसे वापस छोड़ना पड़ा। हालांकि उक्त कर्मी का असला ब्रांच से तबादला कर दिया गया है।

लंबे समय से तैनात अमले पर है संदेह असला ब्रांच में तैनाती के लिए डीसी कार्यालयों के कर्मचारियों द्वारा विधायकों से मिलकर मंत्रियों की सिफारिश डलवाई जाती है। असला ब्रांच में वर्षो से तैनात होकर कई कर्मचारी कथित तौर पर मालामाल हो चुके हैं। ऐसे कर्मियों की जायदाद की जांच करवाने के लिए सरकार को लिखा जा रहा है। एक ही कुर्सी पर वर्षो से बैठे कर्मचारियों के तबादले करने का दौर आने वाले दिनों में शुरू होने वाला है। सभी आरोपित होंगे बेनकाब : डीसी इस मामले को लेकर डिप्टी कमिश्नर (अतिरिक्त चार्ज) संदीप ऋषि ने कहा कि असला ब्रांच में आग लगने के मामले में विजीलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए मामले में कोई भी दबाव काम नहीं कर रहा। बल्कि विजीलेंस द्वारा मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश करने के लिए कवायद चल रही है। लाइसेंसों के नवीनीकरण के दौरान लाखों के गबन के मामले को पुलिस को सौंपा जा रहा है। इस मामले से जुड़े सभी आरोपित बेनकाब किए जाएगे।

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