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आप विधायकों के प्रयास पर फिरा पानी, गांव शेरों की चीनी मिल को शुरू नहीं करेगी सरकार

गांव शेरों में बंद पड़ी चीनी मिल को शुरू करने से आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 01:11 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 07:00 AM (IST)
आप विधायकों के प्रयास पर फिरा पानी, गांव शेरों की चीनी मिल को शुरू नहीं करेगी सरकार
आप विधायकों के प्रयास पर फिरा पानी, गांव शेरों की चीनी मिल को शुरू नहीं करेगी सरकार

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन: आखिर वही हुआ, जिसका डर था। जिले में पड़ते गांव शेरों में बंद पड़ी चीनी मिल को शुरू करने से आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। आप के चारों विधायकों की ओर से इस मिल को शुरू करवाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे थे, उन पर सहकारिता एवं वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने पानी फेर दिया। चीमा ने विधानसभा सत्र के दौरान खेमकरण के विधायक सरवण सिंह धुन्न के सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि 16 वर्ष से बंद पड़ी चीनी मिल को चालू करने का पंजाब सरकार का कोई इरादा नहीं है। ऐसे में बजट में इसे शुरू करने के लिए फंड भी नहीं रखा गया। इससे जिले को झटका लगा है।

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दरअसल, पंजाब में जब आतंकवाद चर्म पर था तो जिले के गांव शेरों में 110 एकड़ जमीन पर राज्य सरकार ने चीनी मिल लगाने का फैसला किया। मिल का दस नवंबर, 1987 को राज्य के वित्त सचिव डा. मनोहर सिंह गिल (पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री) ने उद्घाटन किया था। मिल में इलाके के 500 लोगों को रोजगार मिला था। रोजाना गन्ने की पिराई करने वाली इस मिल पर आर्थिक संकट के बादल मंडराते ही तत्कालीन पंजाब सरकार ने हाथ खींच लिए थे। मिल पर 25 करोड़ का घाटा था और इसे बंद कर दिया गया। हालांकि अजनाला की चीनी मिल 100 करोड़ के घाटे में होने के कारण जारी रखी गई। करीब दस वर्ष से इस मिल को शुरू करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे। पहले कांग्रेस के शासन में जिले के चारों कांग्रेस विधायक चीनी मिल को शुरू करवाने का दम भरते रहे। अब तरनतारन के विधायक डा. कश्मीर सिंह सोहल ने मई में सहकारिता मंत्री हरपाल चीमा से मुलाकात करके इस चीनी मिल को शुरू करवाने का मामला उठाया था। तब चीमा ने विधायक को आश्वासन तो दिया था, परंतु अब सरकार ने इससे हाथ खींच लिए हैं। कैरों का फूड प्रोसेसिग यूनिट का सपना भी रहा अधूरा

वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने चीनी मिल के कर्मियों को सरकारी तौर पर लाभ देते हुए उन्हें घर भेज दिया था। 2015 में शिअद-भाजपा गठबंधन की तत्कालीन सरकार ने इस मिल को फूड प्रोसेसिग यूनिट में बदलने का फैसला करके कैबिनेट में मंजूरी भी दी। चूंकि ये चीनी मिल मंत्री कैरों के विधानसभा हलका पट्टी (गांव शेरों) में आती थी। ऐसे में इसमें तत्कालीन खाद्य आपूर्ति मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों ने भूमिका निभाई थी। कांग्रेस विधायकों की नहीं हुई थी सुनवाई

2017 में प्रदेश में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तो जिले के चारों कांग्रेस विधायकों ने चीनी मिल को चालू करवाने का दम भरा। विधानसभा हलका पट्टी के विधायक हरमिदर सिंह गिल, तरनतारन के विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री ने इसके लिए रुचि दिखाई। इतना ही नहीं गांव शेरों से संबंधित हरदेव सिंह लाडी (कांग्रेस विधायक नकोदर) ने भी मुख्यमंत्री के समक्ष मामला उठाया, परंतु विधायकों की मुख्यमंत्री ने कोई सुनवाई नहीं की थी। सरकार की कथनी और करनी सतनाम : पन्नू

सरकार के इस फैसले पर किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के पंजाब प्रधान सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि पहले कांग्रेस विधायकों ने चीनी मिल चालू करने के नाम पर राजनीति की। अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऐसा किया है। उन्होंने कहा कि यदि चीनी मिल चालू की जाती है तो इलाके में गन्ने की काश्त से जुड़कर किसान फसली चक्र से बाहर निकल सकते हैं। अफसोस है कि सरकार कहती कुछ और है व करती कुछ और है।


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