नशा सिर्फ आदत नहीं, मानसिक बीमारी भी है
अमृतसर नशा सिर्फ एक आदत नहीं, मानसिक रोग भी है। इस रोग की शुरूआत बेशक छोटी-मोटी परेशानियों से होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये क्रोनिक रूप अख्तियार कर लेता है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
नशा सिर्फ एक आदत नहीं, मानसिक रोग भी है। इस रोग की शुरूआत बेशक छोटी-मोटी परेशानियों से होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये क्रोनिक रूप अख्तियार कर लेता है। मानसिक रोगों का असर सिर्फ इंसान की मनोस्थिति पर नहीं पड़ता बल्कि उसकी शिक्षा, व्यवसाय सहित पूरे परिवार को प्रभावित करता है। आज समाज में नशा चुनौतीपूर्ण ढंग से बढ़ रहा है, जिसे रोकने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। यह विचार मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत ¨सह मक्कड़ ने रंजीत एवेन्यू में'नशा व तनाव का संबंध'विषय पर आयोजित सेमीनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
डॉ. मक्कड़ ने कहा कि नशा और तनाव का गहरा नाता है। वर्तमान की भागदौड़ भरी ¨जदगी में लोग छोटी-छोटी बात को दिल पर लगा लेते हैं। युवाओं को महंगे गेजेट्स चाहिए, अच्छे मार्क्स लाने हैं, वहीं शादीशुदा व्यक्तियों को परिवार के लिए अधिक से अधिक धन संग्रह करने की ¨चता सताती है। यह प्रवृत्ति बहुत घातक है। इच्छाओं की पूर्ति न होने पर लोग तनाव का शिकार बन रहे हैं और फिर तनाव को मिटाने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं। तनाव किसी भी बात से हो सकता है। इससे माइग्रेन, सिरदर्द एवं चक्कर आना, इनसोमनिया (नींद न आने की बीमारी), ¨चता, भय, घबराहट, डिप्रेशन, याददाशत में समस्या, बच्चों एवं बड़ों में व्यावहारिक एवं साइकोलॉजिकल समस्याओं इत्यादि उत्पन्न हो सकती हैं।
डॉ. मक्कड़ ने कहा कि आमतौर पर नशे की गिरफ्त में फंसे लोगों को सिर्फ दवाएं देकर ठीक करने की कोशिश की जाती है। असल में दवाओं के साथ साथ नशेड़ी की काउंसि¨लग भी जरूरी है। अगर मरीज अस्पताल आने में असमर्थ है, तो फैमिली काउंसि¨लग के जरिए भी नशे से छुटकारा पाना संभव है।