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अमेरिका के ख्वाब ने मैक्सिकों के जंगलों में भटकाया

पिता गुरसाहिब सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) में थे। उनका अचानक निधन हो गया। मां कुलवंत कौर के सिर पर घर की जिम्मेदारी का बोझ पड़ गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 11:59 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:15 AM (IST)
अमेरिका के ख्वाब ने मैक्सिकों के जंगलों में भटकाया

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : पिता गुरसाहिब सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) में थे। उनका अचानक निधन हो गया। मां कुलवंत कौर के सिर पर घर की जिम्मेदारी का बोझ पड़ गया। एसजीपीसी ने कुलवंत कौर को नौकरी दी। मुश्किल से कुलवंत कौर ने अपने लड़के गुरशरणदीप सिंह को 12वीं की पढ़ाई करवाई और अमेरिका भेज दिया, परंतु क्या पता था कि फर्जी ट्रैवल ऐजेंटों का शिकार होकर उसका लाल अमेरिका से डिपोर्ट हो जाएगा।

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खडूर साहिब के गांव बागड़िया निवासी गुरशरणदीप सिंह को अमेरिका भेजने के लिए मां कुलवंत कौर ने वे तीन एकड़ जमीन में बेच दी। साल 2018 में अमेरिका गए गुरशरणदीप सिंह को हाल ही में अन्य युवाओं के साथ डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया था।

मां कुलवंत कौर का कहना है कि ढाई माह तक लगातार मैक्सिको के जंगलों में रहते हुए गुरशरणदीप सिंह इतना कमजोर हो गया है कि वहां के दिन याद करके रो पड़ता है। ट्रैवल ऐजेंट ने 45 लाख रुपये लेकर अमेरिका भेजा था। कुलवंत कौर कहती है कि भले ही उनकी जमीन डूबी। साथ में कर्ज भी चढ़ा, लेकिन भगवान का शुक्र है कि अब मेरा बेटा वापस लौट आया है। यहीं मेरी कमाई है। फर्जी ट्रैवल ऐजेंटों का शिकार होकर लौटे गुरशरणदीप सिंह की अब दोबारा विदेश जाने की इच्छा नहीं है। कमाई और जमीन लूटने वाले ट्रैवल ऐजेंटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई लिए यह परिवार तैयारी कर रहा है। मंगल के जीवन में अमंगल बना ट्रैवल ऐजेंट

मंगल सिंह डीलर के नाम से जाने जाते हैं। उनके पिता हरभजन सिंह फौज से सेवानिवृत है। उनकी इच्छा थी कि उनका पोता गुरसेवक सिंह देश की सीमाओं पर पेहरा दें, किंतु परिवार को एक ऐसा ट्रैवल ऐजेंट मिला जिसने परिवार के सारे सपने चकनाचूर कर दिए।

विधानसभा हलका तरनतारन के गांव ठट्ठी सोहल निवासी गुरसेवक सिंह को अमेरिका भेजने के लिए ऐजेंट के साथ 50 लाख रुपये में सौदा तय किया। पिता मंगल सिंह ने अपनी जमीन बेच 45 लाख ट्रैवल ऐजेंट को दिए, जिसके बाद 26 जून 2019 को गुरसेवक सिंह अमेरिका के लिए अमृतसर एयरपोर्ट से रवाना हो गया। वहां से हाल ही में अन्य युवाओं के साथ गुरसेवक सिंह को भी डिपोर्ट कर दिया गया।

गांव तेजा सिंह वाला निवासी मंगल सिंह ने बताया कि जिंदगी की सारी कमाई तो उजाड़ ही दी, साथ ही लाखों का कर्जदार हो गया हूं। अब यह कर्ज कैसे चुका पाऊंगा यहीं चिंता है। मां रजवंत कौर उस घड़ी को कोस रही है जब 45 लाख की राशि देकर बेटे को अमेरिका जाने के लिए जहाज में चढ़ाया था। गुरसेवक सिंह अब विदेश जाने से तौबा कर रहा है।

बारहवीं पास गुरसेवक सिंह का कहना है कि अब वह पिता के साथ ही काम करेगा। अमेरिका के जंगलों और पहाड़ों में वह करीब तीन माह भूखे प्यासा खाख छानता रहा। उन दिनों का याद कर आज भी आंखों से आंसू आ जाते हैं।


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